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वैज्ञानिकों को एक सक्रिय ज्वालामुखी के पास हजारों अंडे मिले हैं. कनाडा के वैंकोवर द्वीप के पास गहरे समुद्र में पैसिफिक व्हाइट स्केट प्रजाति के सही सलामत अंडे मिलना हैरान करने वाला है. खास बात ये है कि इस ज्वाला…और पढ़ें

समुद्र के अंदर भी ज्वालामुखी के पास इन अंडों का सही सलामत जीवित पाना चौंका रहा है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
हाइलाइट्स
- कनाडा में ज्वालामुखी के पास मिले हजारों अंडे
- ज्वालामुखी की गर्मी अंडों के लिए इन्क्यूबेटर का काम कर रही है
- पैसिफिक व्हाइट स्केट प्रजाति के अंडे सुरक्षित पाए गए
क्या ज्वालामुखी की वजह से हजारों अंडे सुरक्षित रह सकते हैं? वैज्ञानिकों ने एक सक्रिय ज्वालामुखी के पास ऐसा ही कुछ देखा है. कनाडा में एक गहरे समुद्र में वैज्ञानिकों ने जब एक सक्रिय ज्वालामुखी के पास एक रहस्यमयी प्रजाति के हजारों अंडों को देखा तो वे दंग रह गए. अजीब बात ये है कि ऐसे अंडे पहले भी देखे गए थे. ज्वालामुखी सोया हुआ भी था, इसलिए उन्हें यह बड़ी बात नहीं लगी. पर जब गहरे समुद्र में जब ज्वालामुखी सक्रिय होने के बाद भी उन्हें रहस्यमयी पैसिफिक व्हाइट स्केट के हजारों अंडे मिले तब बहुत हैरानी हुई.
रहस्यमी प्रजाति के अंडे?
कनाडा के वैंकोवर द्वीप के तट पर पैसिफिक व्हाइट स्केट प्रजाति के ये अंडे सुरक्षित थे. यह प्रजाति आज भी इंसानों के लिए एक रहस्य ही बनी हुई है. वैज्ञानिकों को कहना है कि जमीन पर ज्वालामुखी की गर्मी भले ही जानलेवा हो, लेकिन यह खोज कुछ और ही बताती है. उनके मुताबिक ज्वालामुखी ठंडे में अंडों के लिए इन्क्यूबेटर साबित होता दिख रहा है.
पहले भी मिले थे अंडे लेकिन,
साल 2019 में भी उन्होंने इसी ज्वालामुखी के पास ऐसे अंडे दिखने को मिले मिले थे. तब उन्हें अधिक हैरानी नहीं हुई थी. क्योंकि उस समय तक ज्वालामुखी सुसुप्त माना जाता था. लेकिन एक अभियान के अध्ययन से पता चला कि 2600 फुट का ज्वालमुखी ना केवल सक्रिय है, बल्कि समुद्री जीवन के पर्यावरण में भी एक तरह का संतुलन कायम कर रहा है.

पैसिफिक व्हाइट स्केट प्रजाति के ये अंडे आकार में काफी बड़े होते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
अंडों को मिल रही है गर्मी
ज्वालामुखी गर्म और खनिजों से भरपूर पानी निकाल रहा है जिससे अंडों को सेने में मदद मिलती है. पैसिफिक व्हाइट स्टेक नाम के जीव गहरे समुद्र में ही रहते हैं. वहां बहुत ही ज्यादा ठंडक होती है क्योंकि सूर्य की रोशनी वहां नहीं पहुंच पाती है. 6.5 फुट लंबे, ये जीव, 2600 से 9500 फुट की गहराई में पाए जाते हैं. इन के अंडे 18 से 20 इंच बड़े होते हैं.
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खास बात ये है कि इन अंडों को पूरी तरह से तैयार होने में 4 साल का समय लगता है. इस दौरान ही ज्वालामुखी की गर्मी इन्हें इन्क्यूबेटर जैसा तापमान देती है. ज्वालामुखी के पास का माहौल अंडे में से निकले नन्हें जीवों के लिए बहुत ही बढ़िया होता है और कुछ समय बाद ही ये जीव नीचे गहराई में अपने संसांर में जाते हैं.
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