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हाल ही में नासा के वैज्ञानिकों को अपने सौरमंडल में छुपे हुए नौवें ग्रह के सबूत मिले हैं, जहां पर जीवन की संभावना है. इसके बारे में जानकर आपको भी हैरानी होगी. इतना ही नहीं, वैज्ञानिकों ने यह भी बताया कि उस ग्रह …और पढ़ें

वैज्ञानिकों ने बताया कि यहां का तापमान -300 से -400 फारेनहाइट तक हो सकता है. (Photo- Social Media)
अंतरिक्ष के रहस्य हमेशा से इंसान को लुभाते रहे हैं. लेकिन क्या हो, जब हमारे सौरमंडल में ही एक अनजाना ग्रह छिपा हो? वैज्ञानिकों ने एक ऐसी खोज की है, जिसने ब्रह्मांड के बारे में हमारी सोच को हिलाकर रख दिया. ये खबर सुनकर आप हैरान हो जाएंगे. ये खोज नौवें ग्रह (Planet Nine) की है, जिसे नासा (NASA) प्लैनेट X भी कहता है. सालों से वैज्ञानिक इस रहस्यमयी ग्रह की तलाश में थे और अब नए सबूत सामने आए हैं. इस खोज में ताइवान (Taiwan), जापान (Japan) और ऑस्ट्रेलिया (Australia) की एक अंतरराष्ट्रीय टीम शामिल है. उन्होंने 40 साल के अंतरिक्ष डेटा से पता लगाया कि सूरज से 46.5 अरब से 65.1 अरब मील दूर एक पिंड धीरे-धीरे चक्कर काट रहा है. ये दूरी इतनी ज्यादा है कि प्लूटो (जो सूरज से सिर्फ 4 अरब मील दूर है) भी इसके सामने बौना लगता है. इतना ही नहीं यहां पर जीवन की मौजूदगी भी हो सकती है. वैज्ञानिकों ने यह भी बताया कि वहां पर कैसे-कैसे जीव हो सकते हैं.
बता दें कि इस रहस्यमयी ग्रह के खोज की शुरुआत 2016 में हुई, जब कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (California Institute of Technology) के दो वैज्ञानिकों ने दावा किया कि नेपच्यून (Neptune) से बहुत दूर एक बड़ा गुरुत्वाकर्षण बल है, जो शायद एक ग्रह हो सकता है. तब से वैज्ञानिक इस अनजाने ग्रह को ढूंढने में जुटे थे. नई स्टडी (जो अभी arXiv पर प्री-प्रिंट है और पीयर रिव्यू का इंतजार कर रही है) ने 13 संभावित पिंडों की लिस्ट को छांटकर सिर्फ एक पर फोकस किया. वैज्ञानिकों का मानना है कि यही वो नौवां ग्रह हो सकता है, जो सूरज के चारों ओर चक्कर लगा रहा है. इस ग्रह की दूरी इतनी ज्यादा है कि ये प्लूटो से 20 गुना दूर है. वैज्ञानिकों का कहना है कि बर्फ से भरा (Ice Giant) ग्रह हो सकता है, जैसा यूरेनस (Uranus) या नेपच्यून (Neptune) है. इसका वजन पृथ्वी से 7 से 17 गुना ज्यादा हो सकता है. लेकिन इतनी दूरी पर सूरज की रोशनी इतनी कमजोर है कि वहां तरल पानी का होना मुश्किल है, सिवाय इसके कि ग्रह के कोर के पास बर्फ के नीचे कुछ हो.
यहां का तापमान भी -364°F से -409°F के बीच हो सकता है, जो किसी सामान्य जीवन के लिए नामुमकिन है. अगर वहां कोई जीवन है, तो वो सिर्फ एक्सट्रीमोफाइल्स (Extremophiles) हो सकते हैं, यानी ऐसे सूक्ष्मजीव, जो पृथ्वी पर ज्वालामुखी के पास, अंटार्कटिका की बर्फ में या चिली के सूखे अटाकामा रेगिस्तान में जीवित रहते हैं. वैज्ञानिकों ने इस खोज के लिए दो अंतरिक्ष यानों इन्फ्रारेड एस्ट्रोनॉमिकल सैटेलाइट (IRAS) और जापान के AKARI के डेटा का इस्तेमाल किया. IRAS को 1983 में लॉन्च किया गया था और AKARI ने 2006-2007 में आकाश का सर्वे किया. इन दोनों ने पूरे आकाश को स्कैन कर दूर के पिंडों से इन्फ्रारेड सिग्नल पकड़े. 23 साल के अंतर ने वैज्ञानिकों को एक धीरे-धीरे हिलने वाले पिंड को ढूंढने में मदद की. उन्होंने ऐसे पिंड की तलाश की, जो हर साल 3 आर्कमिनट (Arcminute) की रफ्तार से हिलता हो. आर्कमिनट आकाश में कोण मापने की इकाई है और 3 आर्कमिनट सालाना का मतलब है कि 23 साल में ये पिंड 42 से 69.6 आर्कमिनट हिला होगा.
वैज्ञानिकों ने इस गति को काइपर बेल्ट (Kuiper Belt) पर नौवें ग्रह के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव के साथ जोड़कर देखा. काइपर बेल्ट वो इलाका है, जहां प्लूटो जैसे बर्फीले पिंड और धूमकेतु चक्कर काटते हैं. इस विश्लेषण से 13 पिंडों में से सिर्फ एक ऐसा निकला, जो नौवें ग्रह की परिभाषा पर खरा उतरता है. फिर भी वैज्ञानिकों का कहना है कि सिर्फ दो डिटेक्शन (IRAS और AKARI) पूरे ऑर्बिट को समझने या ग्रह की पुष्टि के लिए काफी नहीं हैं. अभी और रिसर्च होना चाहिए. नासा के मुताबिक, अगर नौवां ग्रह सचमुच मौजूद है, तो ये सौरमंडल के कई रहस्य सुलझा सकता है. मिसाल के तौर पर, काइपर बेल्ट के पिंड ग्रहों के ऑर्बिटल प्लेन से 20 डिग्री झुके हुए हैं. नौवें ग्रह का गुरुत्वाकर्षण इस झुकाव को समझा सकता है. साथ ही, ये बर्फीले पिंडों और धूमकेतुओं के एक साथ झुंड में चलने और एक ही दिशा में हिलने की वजह भी बता सकता है. नासा का कहना है कि इस ग्रह की खोज सौरमंडल को “सामान्य” बनाएगी, क्योंकि दूसरी सितारों की कक्षा में सुपर-अर्थ या नेपच्यून जैसे ग्रह आम हैं, लेकिन हमारे सौरमंडल में ऐसा कुछ नहीं है.
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