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Sri Seetaram Bank: छतरपुर के प्रताप सागर में स्थित श्री सीताराम बैंक में पैसे नहीं, राम नाम लिखा जाता है. अब तक जमा हो चुकी है 55 करोड़ ‘राम नाम निधि’. जानिए इस अनोखे बैंक की पूरी कहानी.

श्री सीताराम बैंक
हाइलाइट्स
- श्री सीताराम बैंक में पैसे नहीं, राम नाम लिखा जाता है.
- अब तक 55 करोड़ बार राम नाम लिखा जा चुका है.
- भक्त कर्नाटक, दिल्ली और नेपाल से भी आते हैं.
श्री सीताराम बैंक छतरपुर: दुनिया में आपने कैश, क्रिप्टो, सोना-चांदी वाला बैंक तो खूब देखा होगा, लेकिन क्या कभी ऐसा बैंक सुना है जहां संपत्ति के नाम पर सिर्फ “श्री सीताराम” लिखा जाता है? छतरपुर जिले के प्रताप सागर तालाब के पास एक अनोखा बैंक चल रहा है श्री सीताराम बैंक, जो भक्ति और श्रद्धा की जमा-पूंजी का खाता रखता है.
कोरोना काल में जब दवा और दौलत दोनों ने जवाब दे दिया था, तब इस बैंक की नींव रखी गई थी. इसका उद्देश्य एक ही था ईश्वर के नाम से बड़ा कोई धन नहीं! इस खास पहल की शुरुआत बागेश्वर धाम के पंडित धीरेन्द्र शास्त्री और अन्य संतों ने की थी.
रुपया नहीं, लिखा जाता है “राम”
इस बैंक में 250 से अधिक भक्तों ने खाता खुलवाया है. इन खातों में पैसों की बजाय “राम नाम” लिखा जाता है. हर सप्ताह, हर पखवाड़े, या महीने में भक्त पासबुक लेकर आते हैं और जो रामनाम लिखा होता है, उसे जमा करते हैं. बैंक प्रबंधन उसका रिकॉर्ड रखता है.
बैंक के संचालक पवन मिश्रा के अनुसार, अब तक कुल 55 करोड़ बार राम-नाम लिखा जा चुका है जो कि बुंदेलखंड क्षेत्र में सबसे अधिक है.
नेपाल से भी आते हैं भक्त, पासबुक में होती है “राम संपत्ति” की एंट्री
पवन मिश्रा बताते हैं कि इस बैंक की पहुंच सिर्फ छतरपुर तक सीमित नहीं है. कर्नाटक, दिल्ली और यहां तक कि नेपाल से भी भक्त इस बैंक में राम नाम निधि जमा करने आते हैं. बैंक की तरफ से हर खाताधारक को पासबुक दी जाती है, जिसमें श्रीराम नाम लेखन की प्रविष्टि की जाती है.
10 साल में लिखे गए 1.90 करोड़ श्रीराम नाम
हाल ही में एक भक्त ने 10 वर्षों में राम नाम की 1 करोड़ 90 लाख लेखन निधि बैंक में जमा की है, जो यह दर्शाता है कि आस्था किस हद तक समर्पित हो सकती है.
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