कई लोग मुश्किलों में टूट जाते हैं, लेकिन कुछ अपनी कहानी दुनिया के सामने लाकर दूसरों को हकीकत दिखाते हैं. आज हम आपको एक ऐसी 35 साल की महिला के बारे में बताने जा रहे हैं, जो ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में घर न मिलने की वजह से दोस्त के घर फर्श पर गद्दे पर सो रही है. महिला का नाम शैनन मैकडॉगल (Shannon Mcdougall) है, जिसकी कहानी ने सोशल मीडिया पर बवाल मचा दिया है. शैनन बतौर मार्केटिंग और ग्राफिक्स असिस्टेंट के रुप में काम करती हैं. नौकरी के हिसाब से उनकी कमाई अच्छी-खासी है. लेकिन किस मजबूरी में उन्हें अपने दोस्त के घर फर्श पर सोना पड़ता है? इसकी वजह हैरान करने वाली है. हाल ही में इन्होंने अपनी परेशानी से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया. वीडियो में उन्होंने कहा, “मैं 35 साल की हूं और दोस्त के घर फर्श पर गद्दे पर सो रही हूं, क्योंकि पर्थ में किराए का घर मिलना नामुमकिन है, या फिर बहुत महंगा है.”
शैनन ने आगे कहा कि उनके पास कोई और रास्ता नहीं बचा था, सिवाय दोस्त की मेहरबानी के, जिसने उन्हें अपने घर में जगह दी. शैनन के मुताबिक, “मेरे पास सिर्फ तीन ऑप्शन हैं- कार में सोना, दोस्त के घर फर्श पर सोना या शेयर हाउस में कमरा ढूंढना, वो भी तब, जब मैं उसे अफोर्ड कर सकूं और कोई साथ रखने वाला मिल जाए. क्या मेरे लिए सिर्फ यही रास्ते बचे हैं? ऑस्ट्रेलिया में इतने लोग ऐसा क्यों झेल रहे हैं?” बता दें कि शैनन की कमाई ठीक-ठाक है. उन्होंने बजट में घर ढूंढने की खूब कोशिश की, लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी. शायद शैनन कुछ बचत करना चाहती हैं. उन्होंने कहा, “मुझे छोटा सा एक बेडरूम का फ्लैट लेने में कोई दिक्कत नहीं, लेकिन इसके लिए 500 डॉलर (लगभग 28 हजार रुपए) हफ्ते में देना मेरे लिए नामुमकिन है. इसके अलावा, पर्थ में शेयर हाउस का कमरा भी 300 डॉलर (लगभग 16 हजार 500 सौ रुपए) हफ्ते का है, जो बहुत ज्यादा है.” उनकी औसत कमाई इसकी इजाजत नहीं देती. उनके दो पालतू कुत्ते उनकी मुश्किल को और बढ़ाते हैं. उन्होंने बताया, “ज्यादातर जगहों पर पेट्स की इजाजत नहीं है, और मेरे दो कुत्ते मेरे लिए बच्चे जैसे हैं. उन्हें छोड़ना मेरे लिए मुमकिन नहीं.”
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अपने घर के लिए शैनन ने कई जगह पूछताछ की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. शेयर हाउस मिल भी जाए, तो उन्हें डर है कि कहीं “सबसे खराब रूममेट” न मिल जाए. शैनन ने बताया कि वे बीते फरवरी से घर ढूंढ रही हैं. इससे पहले वे एक रिश्तेदार के साथ रहती थीं, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं. हैरानी की बात ये है कि शैनन पहले घर की मालकिन थीं. 2012 में उन्होंने अपने तत्कालीन पार्टनर के साथ 4.05 लाख डॉलर (2 करोड़ 24 लाख रुपए) में घर खरीदा था, जब उनकी सैलरी 42,000 डॉलर सालाना (23 लाख 20 हजार रुपए) थी. छह साल बाद, जब उनका ब्रेकअप हुआ, तब घर की कीमत कम बढ़ी थी. ऐसे में बैंक का बकाया चुकाने के बाद उन्हें 2019 में छोटी सी रकम मिली. इस बीच कोरोना आ गया और शैनन की नौकरी चली गई. बाद में सबकुछ सही हुआ, तो प्रॉपर्टी के दाम आसमान छूने लगे. उनके पास जो पैसा था, वो अब घर खरीदने के लिए डाउन पेमेंट के लिए भी काफी नहीं था. इसीलिए उन्हें किराए के घर में रहना पड़ा.
शैनन की कहानी सुनने के बाद कुछ लोग उनकी परेशानी से सहमत हैं. एक ने कमेंट में लिखा, “35 साल की सिंगल, कम कमाई वाली महिला होना बहुत मुश्किल है. हमारा सिस्टम इसके खिलाफ काम करता है.” लेकिन कुछ लोग शैनन को गलत ठहराते हैं. उनका कहना है कि किराए की कीमतें ठीक हैं और घर अभी भी अफोर्डेबल हैं. कुछ ने उनके फाइनेंशियल फैसलों पर सवाल उठाए. कमेंट में एक शख्स ने लिखा, “तुम्हें ब्रेकअप में इतना पैसा मिला, वो कहां गया? लगता है तुमने सब खर्च कर दिया.” दूसरे ने लिखा, “इसके लिए तुम खुद जिम्मेदार हो. तुम्हारे गलत फैसलों की वजह से ये हाल है.” हालांकि, शैनन इन कमेंट्स से परेशान नहीं हैं. उन्होंने कहा, “मैंने ये वीडियो सहानुभूति के लिए नहीं बनाए. मैंने बनाए क्योंकि हाउसिंग क्राइसिस को लोग नजरअंदाज करते हैं, खासकर वो जो इससे प्रभावित नहीं हैं.” शैनन का मानना है कि ऑस्ट्रेलिया में अफोर्डेबल हाउसिंग अब सपना बन गया है. उन्होंने आगे कहा, “लोग इसे नई हकीकत मान चुके हैं, लेकिन हमें बोलना होगा, सरकार को जवाबदेह करना होगा और ऐसी पॉलिसी की मांग करनी होगी जो सबके लिए घर सुनिश्चित करे.”
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