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आपने पुरुषों के कपड़ों में, खासकर शर्ट पर जेब तो देखी ही होगी. पर क्या आपने कभी महिलाओं की शर्ट पर जेब देखी है? कभी आपने सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों है कि औरतों की शर्ट में जेब नहीं होती?

महिलाओं की शर्ट में जेब क्यों नहीं होती? (प्रतीकात्मक फोटो: Canva)
घर से बाहर निकलते ही लड़के अपनी जेब में घर की चाबी, रुमाल, मोबाइल, ईयर पॉड, गाड़ी की चाबी, वॉलेट आदि डाल लेते हैं. इस तरह उनके हाथ खाली हो जाते हैं. पर लड़कियों के नसीब में ये लग्जरी नहीं है. उन्हें तो ये सारा सामान किसी बैग या पर्स में ही रखना पड़ता है. तो क्या आपने कभी ऐसा सोचा है कि आखिर लड़कियों की शर्ट, जीन्स या पैंट में पॉकेट क्यों नहीं होती, जबकि लड़कों के हर कपड़ों में, यहां तक कि कपड़ों के अंदर पहनने वाले बॉक्सर में भी जेब मौजूद होती है! आखिर ऐसे अजीब डिजाइन का क्या कारण है?
इस सवाल के उठते ही तमाम लड़कियां इस सोच में पड़ जाती हैं कि उनके साथ इतनी नाइंसाफी क्यों होती है. जेब बना देते से उनके लिए कितनी चीजें आसान हो जातीं. घर से थोड़ी भी दूर जाना हो, तो उन्हें साथ में एक छोटा बैग लेना ही पड़ता है, जिसमें वो छोटी-मोटी चीजें डाल सकें. हाऊ स्टफ वर्क्स नाम की एक वेबसाइट ने कुछ सालों पहले इस मामले पर एक लेख छापा था, जिसमें इसके बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है.

धीरे-धीरे जेब को लेकर हो रहा बदलाव. (प्रतीकात्मक फोटो: Canva)
औरतों को कमजोर बनाने के लिए नहीं बनाते थे जेब
वेबसाइट के अनुसार लड़कियों की शर्ट, पैंट, ट्राउजर आदि में जेब न बनाने का सबसे बड़ा कारण है पितृसत्ता यानी पुरुष-प्रधान सामाजिक व्यवस्था. सदियों से पुरुष, महिलाओं को खूबसूरत, बनी-ठनी, और उनके पैमाने के हिसाब से तय किए गए आकार में ही देखना पसंद करते थे. इस वजह से उनके कपड़ों के साथ भी उनके शेप को देखकर ही छेड़छाड़ की गई. जेब न होने के पीछे सबसे बड़ा कारण ये है कि अगर महिलाएं अपनी शर्ट या पैंट की जेब में कोई सामान रखतीं, तो उनके शरीर का आकार बेडौल हो जाता. इस वजह से वो सुंदर नहीं लगतीं. देखा जाए तो सदियों पहले पुरुष और महिलाएं, दोनों के कपड़ों में ही जेब नहीं होती थी, तब वो एक बैग जैसी चीज का प्रयोग करते थे, जिसे वो अपने शरीर पर आगे की ओर टांगते थे और उसमें जरूरी सामान रखते थे. मगर 400 साल पहले, पुरुषों के कपड़ों में जेब सिलना शुरू किया गया.
शर्ट में इस वजह से नहीं होता जेब
एक कारण और है, वो ये कि 1800 के दौर में जेब न बनाकर औरतों को कमजोर बनाने की कोशिश की जाती थी. जेब भी कपड़े के अंदर दे दी जाती तो वो बेखौफ, बिना चोरी या लूटपाट के डर से कहीं भी आ जा सकती थीं. मर्दों को ये मंजूर नहीं था कि वो ऐसा करें. बस इस वजह से जेबों को हटाया गया. जब जेबें बनना शुरू भी हुईं, तो उसे अपनाया नहीं गया. शर्ट पर जेब न होने का कारण भी ऐसा ही है. शर्ट पर अगर जेब होती तो उनकी छाती बेडौल लगने लगती. उसी डिजाइन को आज भी डिजाइनर्स इस्तेमाल करते आ रहे हैं और कपड़ों में जेब नहीं बनाते. पर गौर करने वाली बात ये भी है कि अब इस सोच में परिवर्तन आ रहा है.
आशुतोष अस्थाना न्यूज़18 हिन्दी वेबसाइट के ऑफबीट सेक्शन सीनियर सब-एडिटर के पद पर कार्यरत हैं. यहां वो दुनिया की अजीबोगरीब खबरें, अनोखे फैक्ट्स और सोशल मीडिया पर ट्रेंडिंग न्यूज़ को कवर करते हैं. आशुतोष को डिजिटल…और पढ़ें
आशुतोष अस्थाना न्यूज़18 हिन्दी वेबसाइट के ऑफबीट सेक्शन सीनियर सब-एडिटर के पद पर कार्यरत हैं. यहां वो दुनिया की अजीबोगरीब खबरें, अनोखे फैक्ट्स और सोशल मीडिया पर ट्रेंडिंग न्यूज़ को कवर करते हैं. आशुतोष को डिजिटल… और पढ़ें
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