एक समय था जब मध्ययुग में यूरोप में अल्केमी विधा के खूब चर्चे हुआ करते थे. दावा किया जाता था कि यह एक ऐसा अनूठा, लेकिन गोपनीय विज्ञान है जिससे दूसरी धातु को सोने में बदला जा सकता था. आम लोगों के लिए ही नहीं बड़े बड़े खोजकर्ताओं के लिए अलकेमिस्ट रहस्य बने हुए थे. लेकिन आधुनिक विज्ञान कभी ऐसा नहीं कर सका. उसके लिए यह आज भी एक रहस्य ही था कि एक धातु को दूसरे में कैसे बदला जा सकता है. पर हाल ही में वैज्ञानिकों ने इसे संभव कर दिखाया है. दिलचस्प बात ये है कि वे किसी और मकसद कर रहे कर एक प्रयोग के दौरान यह सफलता हासिल कर बैठे!
कहां मिली ये सफलता
स्विट्जरलैंड और फ्रांस की सीमा के नीचे छिपे दुनिया के सबसे जटिल उपकरण, हैड्रॉन कोलाइडर में, वैज्ञानिकों ने गलती से सीसे को सोने में बदलने का रहस्य खोज लिया. यह खोज न केवल चौंकाने वाली है, बल्कि मध्ययुगीन अल्केमी की उस खोज को भी साकार करती है, जिसने सदियों तक लोगों को मोहित रखा. लेकिन, इस सोने की चमक में एक बड़ा ट्विस्ट है!
कुछ और ही कर रहे थे वैज्ञानिक
हैड्रॉन कोलाइडर में काम करने वाले वैज्ञानिकों ने यह चमत्कार किया. वे ALICE प्रयोग पर शोध कर रहे थे, जिसमें बिग बैंग के बाद ब्रह्मांड की स्थिति को समझने के लिए सीसे के परमाणुओं को दुनिया की सबसे तेज़ गति से एक-दूसरे से टकरा रहे थे. इस प्रक्रिया में, उन्होंने अनजाने में सोने के 86 अरब अणु बना दिए!

इस खोज ने अल्केमी जैसी विधा को एक बार फिर से चर्चित कर दिया है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
सपना सच तो हुआ, लेकिन
हैड्रॉन कोलाइडर को संचालित करने वाले सर्न ने एक बयान में कहा, “मध्ययुगीन अल्केमिस्ट का सपना तकनीकी रूप से सच हो गया, लेकिन उनकी धन की उम्मीदें एक बार फिर टूट गईं.” यह खोज उस मशहूर ब्लैकएडर II के नजारे की याद दिलाती है, जिसमें लॉर्ड पर्सी ने दावा किया था कि उसने सोना बना लिया, लेकिन उसे केवल हरी गंदगी मिली. लेकिन इस बार, यह कोई मजाक नहीं—वैज्ञानिकों ने वाकई में सोना बनाया है. लेकिन, जौहरियों के लिए यह कोई खुशखबरी नहीं है, क्योंकि यह मात्र 29 ट्रिलियनवें ग्राम सोना है—इतना कम कि इसे नंगी आँखों से देखना असंभव है.
कैसे हुआ यह चमत्कार?
यह सब तब होता है जब सीसे के नाभिक (न्यूक्लियाई) हैड्रॉन कोलाइडर में आमने-सामने टकराते हैं. ये टक्कर इतनी जबरदस्त होती हैं कि एक विशाल परमाणु बल सक्रिय हो जाता है, और नाभिक पूरी तरह नष्ट हो सकते हैं. लेकिन अगर दो नाभिक एक-दूसरे के करीब से गुजरते हैं, तो उनके बीच एक विशाल विद्युत क्षेत्र बनता है. यह क्षेत्र उन्हें कंपन करने पर मजबूर करता है, और कभी-कभी वे प्रोटॉन छोड़ देते हैं. अगर एक नाभिक बिलकुल तीन प्रोटॉन छोड़ता है, तो वह सीसा से सोना बन जाता है.
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यह खोज वैज्ञानिक नजरिये से तो ऐतिहासिक है, लेकिन व्यावसायिक रूप से इसका कोई महत्व नहीं. इतनी कम मात्रा में सोना बनाना जौहरियों या अर्थव्यवस्था के लिए कोई मायने नहीं रखता. इस रहस्यमयी खोज के पीछे की सच्चाई अभी भी अनजानी है. फिर भी, इसने अल्केमी को एक बार फिर से जरूर चर्चित कर दिया है.
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