Doctor prescribed wrong medicine woman life became hell 1 percent chance of survival then miracle happen – दक्षिण अफ्रीका की चैरिटी गुमेदे की दुर्लभ बीमारी से चमत्कारिक बचाव

दुनियाभर में कई ऐसी अजीबोगरीब बीमारियां हैं, जिनके बारे में जानकर हैरानी होती है. इनमें से कई बीमारियों का तो इलाज भी मुमकीन नहीं है. ऐसी ही एक दुर्लभ बीमारी की शिकार दक्षिण अफ्रीका की रहने वाली 39 साल की चैरिटी गुमेदे हैं. चैरिटी को शाज के नाम से भी जाना जाता हैं, जो पेशे से एक ब्यूटीशियन थीं और इन्हें ग्लैमर और खूबसूरती से प्यार था. लेकिन 6 अगस्त 2024 को उनकी दुनिया तबाह हो गई, जब एक रहस्यमयी और दर्दनाक रैश ने उनकी जिंदगी को डरावना बना दिया. कुछ ही दिनों में उनकी त्वचा उधड़ने लगी, शरीर ने काम करना बंद कर दिया और डॉक्टरों ने एक भयावह खुलासा किया. डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें टॉक्सिक एपिडर्मल नेक्रोलिसिस (TEN) है, जो स्टीवंस-जॉनसन सिंड्रोम (SJS) का एक घातक रूप है. इतना ही नहीं, उनकी जीवित रहने की संभावना भी मात्र 1% ही है. ये सबकुछ डॉक्टरों द्वारा लिखी गई गलत दवा की वजह से हुआ, जिससे महिला की जिंदगी नर्क बन गई. लेकिन आखिर में एक चमत्कार हुआ और वो जिंदा बच गई.

शाज ने कहा, “मेरी त्वचा मेरे शरीर से उधड़ रही थी. यह किसी डरावनी फिल्म जैसा अनुभव था.” यह दुःस्वप्न तब शुरू हुआ, जब शाज को एक मनोचिकित्सक ने नई दवा दी, जो टाइप 2 बाइपोलर डिसऑर्डर के निदान के लिए था, जिसे उन्हें जीवन भर लेना था. लेकिन इस दवा के साइड इफेक्ट्स के बारे में उन्हें कोई चेतावनी नहीं दी गई. जिस दिन डॉक्टरों ने उनका डोज बढ़ाकर 75 मिलीग्राम किया, उसी शाम उन्हें बुखार हुआ. फिर अगले दिन फफोले उभरे और तीसरे दिन उन्हें खुद एम्बुलेंस बुलानी पड़ी. शाज ने कहा, “मुझे बताया गया कि यह वायरल बुखार या चिकनपॉक्स है. इसलिए मुझे सिर्फ पेनकिलर दिए गए.” हालांकि, जब अस्पताल में स्थिति बदतर होने लगी, तब डॉक्टरों को इसकी गंभीरता समझ में आई. लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी. ऐसे में शाज के दर्द और बिगड़ती हालत को नियंत्रित करने के लिए कोमा में डाल दिया गया. उनकी मां ने उनके साथ अस्पताल के गलियारों में रातें बिताईं.

चैरिटी उर्फ शाज ने आगे कहा, “मेरी मां मेरी फरिश्ता हैं. उन्होंने मुझे अकेला नहीं छोड़ा. वे मेरी ताकत थीं.” डॉक्टरों ने परिवार से कहा कि कुछ भी हो सकता है, लेकिन शाज ने चमत्कारिक ढंग से जिंदगी की जंग जीत ली. इस बीमारी की वजह से शाज की त्वचा उनके चेहरे से लेकर पीठ तक हटाई गई थी. उनके नाखून और बाल झड़ गए और आंसुओं की ग्रंथियां क्षतिग्रस्त हो गईं, जिससे वे बिना आंसुओं के रोती थीं. उन्हें दोबारा बोलना, खाना और निगलना सीखना पड़ा. चेहरे की क्षति के कारण ऑक्सीजन के लिए ट्रेकियोस्टॉमी करनी पड़ी. उनकी आंखों को भारी नुकसान हुआ, जिसके कारण वे अपनी ब्यूटीशियन की नौकरी नहीं कर सकतीं. शाज कहती हैं, “जब मैं कोमा से जागी, तो मेरी मां ने कहा, ‘तू बहुत खूबसूरत है.’ शायद वे मुझे मेरे बदले हुए चेहरे के लिए तैयार कर रही थीं.”

सोशल मीडिया पर शाज ने जब अपनी स्टोरी शेयर की, तो देखते ही देखते उनका वीडियो वायरल हो गया. वे कहती हैं, “इस मुश्किल से गुजरने के बाद मुझे आत्म-नियंत्रण मिला. मैंने सीखा कि कैसे खुद को आगे बढ़ाना है.” शाज ने अपने सबसे कठिन दिनों से लेकर खुशी के पलों तक को शेयर किया. काफी लोग उन्हें सपोर्ट कर रहे हैं. हालांकि, शाज को अब स्पेशल आई लेंस और स्किन की देखभाल की जरूरत है. उन्होंने इसके लिए फंडरेजिंग शुरू की है. वो कहती हैं, “मेडिकल सहायता ने बहुत मदद की, लेकिन अभी लंबा रास्ता बाकी है.” शारीरिक और भावनात्मक निशानों के बावजूद, शाज ने अपना आत्मविश्वास दोबारा हासिल किया. वे कहती हैं, “लोग पूछते हैं कि मैं इतने आत्मविश्वास से कपड़े क्यों पहनती हूं. मैं कहती हूं, क्योंकि मैंने इसे हासिल किया है. मैंने दर्द को महसूस किया और अब मैं खुशी को जीना चाहती हूं.” शाज ने उस क्लिनिक को भी पत्र लिखा, जिसने उन्हें यह दवा दी थी. शाज ने बताया, “उन्होंने मुझे बिना चेतावनी के खतरनाक दवा दी. मैं नहीं कहती कि यह जानबूझकर था, लेकिन यह लापरवाही थी. मैं नहीं चाहती कि कोई और यह दर्द झेले.”

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