अगर आप से किसी शेफ के बारे में बात की जाए तो आप इस बारे में क्या उम्मीद करेंगे कि वह किसके लिए खाना बनाता होगा? आप जरूर या तो किसी फाइव स्टार होटल के शेफ या फिर किसी अमीर परिवार के घर में शेफ की नौकरी करने वाले शख्स की उम्मीद करेंगे. पर एक शेफ ऐसा भी है जो बहुत ही अनोखे लोगों के लिए खाना बनाताया है. ऑक्सफोर्डशायर के सोबेल हाउस हॉस्पिस में शेफ स्पेंसर रिचर्ड्स उन मरीजों के लिए अंतिम भोजन तैयार करते हैं जो अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर हैं. और ऐसा करना उनके लिए एक खास तरह अनुभव होता है और वे मरीजों को भी यादगार अनुभव देना चाहते हैं.
काम को बड़े सम्मान की तरह देखना
स्पेंसर के लिए यह काम सिर्फ खाना बनाना नहीं, बल्कि मरीजों की आखिरी इच्छाओं को प्यार और देखभाल के साथ पूरा करना है. उनकी कहानियाँ भावुक करती हैं. वे दिखाती हैं कि खाना कितना गहरा भावनात्मक असर छोड़ सकता है. उनका मानना है कि किसी के लिए उनका अंतिम भोजन तैयार करना एक शेफ के लिए सबसे बड़ा सम्मान है.
21 साल का युवक के लिए स्ट्रीट फूड
उन्होंने बताया, “हाल ही में एक 21 साल के युवा मरीज को हमारे सामान्य मेन्यू से कुछ भी पसंद नहीं आया. वह युवा था और पारंपरिक भोजन में उसकी दिलचस्पी नहीं थी. हमने बात की और उसे स्ट्रीट फूड पसंद था. हमने तुरंत उसकी पसंद का स्ट्रीट फूड तैयार किया. उसकी खुशी देखकर मुझे सुकून मिला.”
स्पेंसर अपने प्यार और खास तरह से खाना बनाने के तरीके से अपना बना खाना यादगार बनाने की कोशिश करते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
केक देख रो पड़ी 93 साल की महिला
एक अन्य घटना में, स्पेंसर ने 93 साल की एक महिला के लिए जन्मदिन का केक बनाया. इस महिला का बचपन और पारिवारिक जीवन बहुत साधारण था, और उन्हें कभी जन्मदिन का केक नहीं मिला था. जब स्पेंसर और उनकी टीम ने उन्हें सरप्राइज केक दिया, तो वह भावुक हो गईं. “वह खुशी से रो पड़ीं और बार-बार केक को देख रही थीं. यह उनके लिए बहुत खास था,” स्पेंसर ने बताया.
छोटी छोटी चीजों की अहमियत
स्पेंसर के लिए जन्मदिन के केक बनाना आम बात है, खासकर 80 और 90 साल की उम्र के मरीजों के लिए. ब्रिस्टल लाइव की एक रिपोर्ट के अनुसार, वे कहते हैं, “ये छोटी-छोटी चीजें हैं, लेकिन उन लोगों के लिए जो अकेलापन महसूस कर रहे हैं या समाज से कटे हुए हैं, इनका बहुत महत्व है.”
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रखना पड़ता है ध्यान
हॉस्पिस में मरीजों के लिए खाना बनाना सिर्फ स्वाद के बारे में नहीं है. अंतिम दिनों में मरीजों की स्वाद की क्षमता बदल जाती है. कीमोथेरेपी और दवाओं के कारण कई मरीजों को नमक का स्वाद तीखा लगता है, जबकि कैंसर से पीड़ित मरीजों को मीठा खाना ज्यादा पसंद आता है. स्पेंसर इन बदलावों को ध्यान में रखते हैं. वे कहते हैं, “हम नमक की मात्रा कम करते हैं और मीठे व्यंजनों पर ध्यान देते हैं.”
स्पेंसर क्लासिक फ्रेंच डेज़र्ट्स जैसे पन्ना कोट्टा, क्रेम ब्रूल, और क्रेम कारमेल से प्रेरणा लेते हैं. यहां तक कि साधारण डिश जैसे जेली या आइसक्रीम को भी वे पूरी देखभाल के साथ परोसते हैं. वे अपने काम को एक कला का स्तर देने की कोशिश करते रहते हैं.
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