हर कोई पैसे कमाने का शॉर्टकट ढूंढ़ता है. ऐसे में अगर ये शॉर्टकट किसी के हाथ लग जाए तो मानो ‘शेर के मुंह में खून लग जाना.’ ऐसा ही कुछ हुआ कॉरपोरेट सेक्टर में काम करने वाली, महज 24 साल की श्वेता के साथ. श्वेता अपने ऑफिस से लौटते हुए सोशल मीडिया पर स्क्रॉल कर रही थी, जब उसने एक विज्ञापन देखा ‘₹5000 में ₹2 लाख तक कमाने का मौका!’ चमकदार रंगों, घुमते हुए स्लॉट मशीनों और मुस्कुराते हुए विनर्स की तस्वीरों ने श्वेता को आकर्षित कर लिया. शुरुआत में उसे यह सब एक गेम जैसा ही लगा. थोड़ा खेल, थोड़ी मस्ती और कुछ कमाई. मगर उसे अंदाजा नहीं था कि वह धीरे-धीरे एक ऐसे दलदल में उतर रही थी, जहां से निकलना उसके लिए नामुमकिन सा हो जाएगा.
झट से एप किया डाउनलोड
विज्ञापन पर क्लिक करते ही श्वेता को एक ऐप डाउनलोड करने का लिंक मिला. कुछ ही मिनटों में वह एक वर्चुअल एप में थी स्लॉट मशीन, स्पोर्ट्स बेटिंग और लाइव डीलर गेम्स. उसने ₹5000 से शुरुआत की, और खेलते-खेलत कुछ ही दिनों में उसके खाते में ₹2 लाख आ गए. श्वेता ने बताया कि उसे विश्वास नहीं हुआ कि इतना पैसा सिर्फ खेलने से आ सकता है. उसने उन पैसों से अपने मम्मी-पापा के लिए गिफ्ट खरीदे. उसे ये चकाचौंध मजेदार लग रहा था.
शेर के मुंह में लगा खून
पर कहते हैं ना एक बार शेर के मुंह में खून लग जाए, तो वह खून की तलाश में लग जाता है.’ जीत ने उसे और अधिक खेलने के लिए उकसाया. ऐप्स ने हर बार वॉलेट रिचार्ज करने पर बोनस देना शुरू किया. वो जितना खेलती, उतना ही गहरा फंसती गई. जब उसके माता-पिता ने अचानक बढ़ी हुई आमदनी के बारे में पूछा, तो उसने स्टॉक्स में इन्वेस्टमेंट का बहाना बना दिया. धीरे-धीरे खेल का नशा अब जुनून में बदल चुका था. लेकिन किस्मत हर बार साथ नहीं देती. जल्द ही जीत हार में बदलने लगी. लेकिन श्वेता ने हार नहीं मानी, वह और पैसे लगाने लगी. उसे लगा कि वह ज्यादा पैसे जीतेगी. इस जीत के चक्कर में उसने ₹7 लाख का पर्सनल लोन तक ले लिया. यहां तक की जब लोन से भी काम नहीं चला, तो उसने दोस्तों और रिश्तेदारों से झूठ बोलकर पैसे उधार लिए. अंत में, जब और कोई रास्ता नहीं बचा, उसने अपने माता-पिता को सच्चाई बता दी.
पिता की बात पर हुई भावुक
इसके बाद श्वेता के पापा ने सारे कर्ज चुकाए. श्वेता के पापा ने कहा, ‘अगर तुमने दुनिया घूमने की बात भी की होती, तो मैं खुशी से पैसे देता. ये सब करने की क्या जरूरत थी?’ श्वेता शर्मिंदा थी, और आंखों में पानी आ गया था. एक समय के लिए उसने खेल छोड़ दिए. मगर कुछ हफ्तों बाद फिर से उसे पुराने ऐप्स से ऑफर्स आने लगे. उसने ₹2 लाख और उधार लिए. इस बार मानसिक तनाव ने उसे तोड़ दिया. एक रात, जब पूरा परिवार सो रहा था, श्वेता ने एक ऐसा कदम उठाया जिसने सबके रोंगटे खड़े कर दिये.
उठाया आखिरी कदम
श्वेता ने आत्महत्या करने की कोशिश की, जिसके बाद उसे समय रहते अस्पताल पहुंचा दिया गया. मुंबई के भाटिया हॉस्पिटल में डॉक्टर शैलेश रानडे की देखरेख में उसकी कई सर्जरी हुईं. वो छह हफ्ते उसके जीवन के सबसे दर्दनाक थे. शारीरिक दर्द के साथ ही मानसिक तनाव उसे अंदर से खा रहा था. लेकिन उसके माता-पिता और डॉक्टर की मदद से वो फिर से खड़ी हो सकी. अब श्वेता घर लोटकर सबको एक एक संदेश देना चाहती है कि ‘आसान पैसा सिर्फ धोखा है. यह एक अंधा कुआं है जिसमें आप उतरते ही जाते हैं. अगर आप किसी तनाव में हैं, तो बात कीजिए. आत्महत्या कोई रास्ता नहीं. मुझे दूसरी जिदगी मिली है, और अब मैं दूसरों को बचाना चाहती हूं.’
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