Lucknow Serial Killer Convicted: कातिलों के बारे में तो आपने खूब सुना होगा, लेकिन क्या आपने किसी ऐसा कातिल के बारे में सुना है जो इंसानों की खोपड़ी का सूप पीता हो? जी हां हम बात कर रहे हैं राजा कलंदर के बारे में, नाम तो सुना ही होगा? अगर नहीं सुना तो अब जान जाइए.
राजा कलंदर जिसे लोग ‘नरभक्ष’, ‘सीरियल किलर’ और ‘खोपड़ी जमा करने वाला’ के नाम से जानते हैं. एक ऐसा दरिंदा जो अपने शिकार का सिर काटता, उसका भेजा निकालकर सूप बनाता और फिर उस सूप को बड़े चाव से बैठकर पीता था. एक समय था जब राजा नैनी स्थित केंद्रीय आयुध भंडार (सीओडी) छिवकी में एक सामान्य कर्मचारी था. लेकिन उसके भीतर जो राक्षसी प्रवृत्ति छुपी थी, वह आपकी और हमारी कल्पनाओं से परे थी. चलिए आपको बताते हैं इस खौफनाक दरिंदे के बारे में.
जंगल में मिले शव
24 जनवरी 2000, मनोज कुमार और उनके ड्राइवर रवि श्रीवास्तव लखनऊ से रीवा की यात्रा पर निकले. उन्होंने चारबाग स्टेशन के पास छह लोगों को गाड़ी में बिठाया, जिनमें एक महिला भी थी. इसके बाद उनका आखिरी लोकेशन रायबरेली के हरचंदपुर में मिला, जहां उन्हें एक चाय की दुकान पर देखा गया था. फिर दोनों अचानक लापता हो गए. तीन दिनों की बेचैनी के बाद जब कोई खबर नहीं आई, तो मनोज के पिता शिव हर्ष सिंह ने नाका थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई. पुलिस ने भी खूब तलाशी ली लेकिन कोई सुराग नहीं मिला. लेकिन कुछ हफ्तों बाद शंकरगढ़ के घने जंगलों में दो शव मिले जो मनोज और रवि के थे.
भेजे से सूप बनाकर पीता
जांच के दौरान पुलिस ने राजा कलंदर और उसके साले को गिरफ्तार किया. पूछताछ में जो सामने आया, उसने हर किसी को हिला कर रख दिया. राजा कलंदर न केवल इन हत्याओं का दोषी था, बल्कि उसने पत्रकार धीरेंद्र सिंह की भी हत्या की थी. पुलिस को उसके फार्म हाउस से 14 इंसानों की खोपड़ियां बरामद हुईं. वह कहता था कि इन खोपड़ियों में शक्तियां होती हैं. सबसे भयावह खुलासा तब हुआ जब पता चला कि राजा नरभक्षी था. वह मरे हुए इंसानों के सिर काटता, उनके भेजे से सूप बनाकर पीता था.
25 साल बाद अब न्याय की घड़ी
साल 2001 में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की थी, लेकिन कानूनी पेचीदगियों के कारण सुनवाई 2013 में जाकर शुरू हो सकी और अब, 25 साल बाद, 2025 में जाकर आखिरकार न्याय की घड़ी आई है. जज रोहित सिंह ने सोमवार को राजा कलंदर और उसके साले को दोषी ठहराया और शुक्रवार को सजा का ऐलान करने की बात कही है.
साल 2000 में लखनऊ से शुरू हुई यह खौफनाक कहानी, 25 साल बाद अब जाकर अपने अंजाम तक पहुंची है. राजा कलंदर और उसके साले वच्छराज कोल को लखनऊ की कोर्ट ने डबल हत्याकांड में दोषी करार दिया है. अदालत में सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने 12 गवाहों की गवाही के आधार पर यह साबित किया कि यह एक प्लानिंग की गई हत्या थी, जिसमें अपहरण, लूट और निर्मम हत्या शामिल थी.
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