कई लोग ऐसे हैं, जिनका वजन अचानक कम होने लगता है. भूख नहीं लगती और कब्ज की शिकायत भी होती है. साथ ही कई बार असहनीय दर्द से बुरा हाल हो जाता है. ऐसे लोगों को तुरंत डॉक्टर को दिखाकर सही जांच करवानी चाहिए. कई बार हम जिसे मामूली बीमारी समझते हैं, वो खौफनाक और लाइलाज बीमारी भी हो सकती है. ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड की 37 साल की नर्स केली ओ’डॉनेल की ऐसी ही कहानी दिल दहलाने वाली है. केली अपनी नवजात बेटी और परिवार के साथ खुशहाल जिंदगी जी रही थी. अचानक उनका वजन कम होने लगा, भूख न लगना और कब्ज की शिकायत के साथ बेतहासा दर्द होता. हॉस्पिटल गईं तो डॉक्टरों ने उनके लक्षणों को हल्के में लिया, लेकिन जांच के बाद पता चला कि उन्हें स्टेज-4 बाउल कैंसर है. केली की यह कहानी बताती है कि उम्र कोई मायने नहीं रखती, कैंसर किसी को भी हो सकता है.
पेशे से नर्स केली ओ’डॉनेल ने हाल ही में बच्ची को जन्म दिया था. उन्हें शुरू में लगा कि मातृत्व की थकान ने उन्हें कमजोर किया है. लेकिन जल्द ही उनकी सेहत बिगड़ने लगी. उनके डॉक्टर ने लक्षणों को मामूली मानकर नजरअंदाज किया. केली बताती हैं, “मैं स्वस्थ थी और नियमित जांच करवाती थी. लेकिन बेटी के जन्म के बाद मैंने 12 महीने तक डॉक्टर नहीं देखा.” जब थकान और कमजोरी बढ़ी, तो उन्होंने इसे प्रसव का असर माना और नेचुरोपैथ से सलाह ली. लेकिन हालत बिगड़ती गई. उन्होंने कहा, “मैंने 10 किलो वजन खो दिया, खाना नहीं खा पा रही थी और कब्ज की समस्या थी.” नवंबर 2023 में उनके डॉक्टर ने ब्लड टेस्ट और कोलोनोस्कोपी की सलाह दी, लेकिन पब्लिक हेल्थ सिस्टम की लंबी वेटिंग ने इंतजार बढ़ा दिया. डॉक्टर ने उन्हें आश्वासन दिया, “आप बहुत छोटी हैं, कैंसर नहीं हो सकता.” मगर मई 2024 में भारी रक्तस्राव की वजह से उन्हें इमरजेंसी में भर्ती कराना पड़ा. 10 दिन बाद कोलोनोस्कोपी में उनके गुदा मार्ग में ट्यूमर मिला. इसके एक हफ्ते बाद केली को स्टेज-4 बाउल कैंसर का पता चला, जो उनके लिवर तक फैल चुका था.
उन्होंने कहा, “मेरा लिवर ट्यूमर से भरा था. मुझे विश्वास नहीं हुआ. लेकिन मुझे यकीन था कि मैं मरने वाली नहीं हूं. मैं हर तरह से इस बीमारी से लडूंगी.” पहले कीमो राउंड में ट्यूमर छोटे हुए, मगर 12 हफ्तों बाद पता चला कि कीमो काम नहीं कर रही थी. इसके बाद तेज पीठ दर्द शुरू हुआ, जो उनकी सेक्रम (टेलबोन) पर एक घाव के कारण था, जिसने नसों और रीढ़ पर दबाव डाला. पांच दिन की रेडिएशन के बाद भी साइड इफेक्ट की वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. अब केली 19 विटामिन और हर्ब्स, तीन सप्लीमेंट्स और सात दवाइयों का नेचुरोपैथिक रेजिमेंट फॉलो कर रही हैं. वो कहती हैं, “यह महंगा है, लेकिन स्वास्थ्य का कोई मोल नहीं.” उन्होंने अपने इलाज के लिए दोस्तों, परिवार के सदस्यों के अलावा गोफंडमी के जरिए अजनबी लोगों से भी धन जुटाया.
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कैंसर से जंग लड़ रही केली अब दूसरों को इस बीमारी के प्रति जागरुक कर रही हैं. वो कैंसर को सिर्फ बुजुर्गों की बीमारी मानने की गलतफहमी तोड़ना चाहती हैं. उन्होंने कहा, “30-39 आयु वर्ग में बाउल कैंसर 209% बढ़ा है. जागरूकता और जल्द जांच जरूरी है.” वो ऑस्ट्रेलियाई लोगों से कहती हैं, “अपने शरीर की सुनें. अगर कुछ गलत लगे, तो दूसरी या तीसरी राय लें. कोई डॉक्टर आपके शरीर को आपसे बेहतर नहीं जानता.” बता दें कि बाउल कैंसर को ऑस्ट्रेलिया में चौथा सबसे आम और दूसरा सबसे घातक कैंसर माना जाता है. हर साल वहां पर 14,500 लोग इससे प्रभावित होते हैं. अगर शुरुआती स्टेज में पकड़ा जाए, तो 99% मामलों में इलाज संभव है. लेकिन ज्यादातर ऐसा हो नहीं पाता. लक्षणों में पेट दर्द, कब्ज, डायरिया, वजन घटना और थकान शामिल हैं.
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