नासा ने भारतीय वैज्ञानिकों के साथ खोजे एक दो नहीं, 26 ‘एलियन’, या तो होंगे खतरा या ला सकते हैं क्रांति!

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नासा ने भारतीय और सऊदी वैज्ञानिकों के साथ मिलकर 26 नए जीव खोजे. ये उनको पूरी तरह से एलियन की तरह अनजान हैं. असल में ये बैक्टीरिया हैं, जो साफ कमरों में पाए गए हैं. . ये अंतरिक्ष की कठिन परिस्थितियों में जीवित …और पढ़ें

नासा ने भारतीय वैज्ञानिकों के साथ खोजे एक दो नहीं, 26 ‘एलियन’!

इस तरह के बैक्टीरिया मिलना कई तरह के सवाल उठाता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)

हाइलाइट्स

  • नासा ने अंतरिक्ष स्टेशन में 26 नए बैक्टीरिया खोजे
  • ये बैक्टीरिया किसी ग्रह के जीवन के लिए खतरा भी हो सकते हैं
  • ये बैक्टीरिया भविष्य में जैव-उपकरण के रूप में काम आ सकते हैं

पृथ्वी के बाहर जब भी जीवन की कल्पना होती है तो आमतौर पर लोगों के मन में इंसानों या उनसे भी बुद्धिमान किस्म के एलियन्स की कल्पना आती है. पर कम लोगों का ध्यान अन्य छोटे और महीन जीवों पर जाता है. लेकिन वैज्ञानिकों के साथ उल्टा है. वे किसी भी बाहरी जीवन के बारे में पड़ताल करते हैं तो पहले छोटे से छोटे जीवन के ही बारे में सोचते हैं.  यही कारण था कि वैज्ञानिक तब हैरान रह गए जब नासा (NASA)  के जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी ने सऊदी अरब और भारत के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर 26 नए बैक्टीरिया (Bacteria) की खोज की, जो किसी एलियन्स की तरह ही लगते हैं.

ऐसी जगह मिले जहां नहीं थी उम्मीद
ये बैक्टीरिया इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के साफ कमरों में पाए गए. साफ कमरे वे स्थान हैं जहाँ हवा, तापमान और नमी को कड़ाई से नियंत्रित किया जाता है. ये जगहें बैक्टीरिया के लिए अनुकूल नहीं मानी जाती हैं. फिर भी, ये बैक्टीरिया वहां जीवित हैं. ये स्पस के मुश्किल हालात में जिंदा रह सकते हैं.इन बैक्टीरिया को एक्सट्रेमोफाइल्स कहते हैं. इनमें डीएनए मरम्मत और रेडिएशन व रसायनों के खिलाफ प्रतिरोध जैसे गुण हैं.

भविष्य में काम आ सकते हैं ये बैक्टीरिया
इस अध्ययन की अगुआई किंग अब्दुल्ला यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (केएयूएसटी) ने किया. नासा, भारत और सऊदी अरब के संस्थानों ने इसमें सहयोग दिया है. वैज्ञानिकों का कहना है कि ये बैक्टीरिया अंतरिक्ष यात्रा में जीवित रह सकते हैं. ये भविष्य में जैव-उपकरण के रूप में काम कर सकते हैं केएयूएसटी के प्रोफेसर अलेक्जेंडर रोसाडो ने बताया, “हम ऐसे जीवों की तलाश कर रहे थे जो अंतरिक्ष की चरम हालात में जिंदा रह सकें.”

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के सबसे साफ और सुरक्षित कमरे में बैक्टीरिया का मिलना हैरान तकरने वाली बात है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)

खतरे के साथ काम के भी हो सकते हैं ये बैक्टीरिया
प्रोफेसर अलेक्जेंडर रोसाडो ने बताया कि ये बैक्टीरिया मंगल ग्रह तक पहुँच सकते हैं. ये धरती पर दवाएँ बनाने, खाना सुरक्षित रखने और जहरीले कचरे की सफाई में मदद कर सकते हैं. अध्ययन की प्रथम लेखिका जूनिया शुल्ज़ ने कहा कि यह खोज ग्रहों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण सवाल उठाती है. उन्होंने कहा, “इन जीन्स को उपयोगी बैक्टीरिया में डालकर दवाएँ या खाद्य सुरक्षा के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.”

उपियोगिता की संभावनाएं
शुल्ज़ ने बताया कि अंतरिक्ष जैव प्रौद्योगिकी के लिए एक नया स्रोत हो सकता है. नासा के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. कस्तूरी वेंकटेश्वरन ने कहा, “ये छोटे जीव भविष्य में अन्य ग्रहों को बसाने, बीमारियों का इलाज करने या जीवन की उत्पत्ति को समझने में मदद कर सकते हैं.” यह अध्ययन नासा को अंतरिक्ष मिशनों में बैक्टीरिया से निपटने की रणनीति बनाने में मदद करेगा. यह साफ कमरों में माइक्रोबियल प्रदूषण को रोकने के लिए भी उपयोगी है. वैज्ञानिकों का कहना है कि ये बैक्टीरिया अंतरिक्ष में जीवन की संभावनाओं को समझने में मदद करेंगे.

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गौरतलब है कि चीन के वैज्ञानिकों ने भी हाल ही में तियांगोंग स्पेस स्टेसन में एक नया और अनजान बैक्टीरिया खोजा है. . ये बैक्टीरिया पृथ्वी पर पहले कभी नहीं देखे गए. ये मिट्टी में पाए जाने वाले बैक्टीरिया के रिश्तेदार हैं.  इस तरह की खोज़ें अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भी अहम है. यह हमें बताती है कि अंतरिक्ष मिशनों में बैक्टीरिया से सावधान रहना होगा.

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Vikas Sharma

As an exclusive digital content Creator, specifically work in the area of Science and technology, with special interest in International affairs. A civil engineer by education, with vast experience of training…और पढ़ें

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नासा ने भारतीय वैज्ञानिकों के साथ खोजे एक दो नहीं, 26 ‘एलियन’!

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