Rare Bird: प्रकृति के लिए जिस तरह पेड़-पौधे, धूप-छाव, पानी-हवा जरूरी है, उसी तरह पक्षियों का होना भी जरूरी है. अगर पक्षी नहीं रहे तो पर्यावण का संतुलन बिगड़ जाएगा. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि आधुनिकता के इस दौर में आज भी एक पक्षी लोगों को मौसम का हाल बताता है. इस पक्षी के अंडों को देख लोग जान जाते हैं कि इस साल बारिश कैसी रहेगी. बारिश होगी भी या सूखा तो नहीं रहेगा?
आज भले ही कई अत्याधुनिक उपकरण हैं, जिनकी मदद से मौसम का अनुमान वैज्ञानिक लगाते हैं. खासकर बारिश, ताकि किसान ऐसी फसलों का चयन कर सकें जो मौसम के अनुकूल हों. लेकिन, जब इस तरह के कोई उपकरण नहीं थे, तब किसान टिटहरी के दिए अंडों को देखकर यह अनुमान लगाते थे कि बारिश कैसी रहेगी? कितने महीने पानी गिरेगा या सूखा तो नहीं रहेगा?
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ग्रामीण लगाते थे मानसून का अंदाजा
दअरसल, टिटहरी चिड़िया प्रजाति का पक्षी है, जिसे टटाटिबली नाम से भी जाना जाता है. इसे एक नायब पक्षी की श्रेणी में रखा गया है. कहते हैं कि टिटहरी को मौसम का हाल बता देने का गॉड गिफ्ट मिला है. खास बात ये कि आज भी लोग इस पक्षी पर पहले की तरह भरोसा करते हैं. खरगोन सहित प्रदेश के अन्य जिलों के ग्रामीण इलाकों में आज भी बारिश का सटीक आकलन लगाने के लिए लोग यही तरीका अपनाते हैं.
खरगोन में भी दिखे थे अंडे
कहते हैं कि टिटहरी के अंडे दिखाई देना इस बात का सबूत है कि उस इलाके में बारिश होना तय है. हालांकि, टिटहरी के अंडे आसानी से दिखाई नहीं देते हैं. क्योंकि, यह पक्षी अपने अंडे इंसानों की पहुंच से दूर रखता है. बीते वर्ष खरगोन के साटक तालाब किनारे टापू पर कई जगहों पर 4-4 की संख्या में टिटकारी ने अंडे दिए थे. इस साल भी सागर में अंडे दिखाई दिए हैं. माना जा रहा है कि बारिश अच्छी होगी.
अंडे बताते हैं बारिश कितनी होगी
खरगोन पीजी कॉलेज के प्राणी शास्त्र के प्रोफेसर डॉ. रविन्द्र रावल ने बताया कि टिटहरी अप्रैल से जून माह के प्रथम सप्ताह तक अंडे देती है. लगभग 18 से 20 दिनों बाद इनमें से बच्चे बाहर निकल जाते हैं. उन्होंने बताया कि सुनते आए हैं कि टिटहरी ने चार अंडे दिए, इसका मतलब 4 महीने झमाझम बारिश होगी. 3 अंडे दिए, इसका मतलब होता है कि 3 महीने बारिश होगी. 2 अंडे दिए, मतलब दो महीने बारिश होगी. अगर एक ही अंडा दिया या दिखाई नहीं दिए तो यह माना जाता था बारिश ना के बराबर या होगी नहीं.
अंडे खड़े या बैठे, इसका भी महत्व
ग्रामीण भगवान पाटीदार और महादेव पटेल ने बताया कि देखा तो नहीं, लेकिन बुजुर्गों से सुना है कि पहले बारिश के मौसम में कौन सी फसल बोना है, इसका निर्धारण टिटहरी के अंडों को देखकर लगाया जाता था. संख्या के अलावा यह भी देखा जाता है कि अंडे खड़े हैं या बैठे. जितने अंडे खड़े हैं उतने महीने अच्छी बंदिश होगी. जितने अंडे बैठे हैं, उतने महीने हल्की बारिश होगी. अगर टिटहरी ने ऊंचे स्थान पर अंडे दिए हैं तो बारिश जल्दी होगी. निचले स्थान पर दिए हैं तो मान लीजिए बारिश देर से होगी.
पारस पत्थर से अंडे तोड़ती है टिटहरी
प्रोफेसर डॉ. रविन्द्र कहते हैं कि यह पक्षी अन्य पक्षियों की तरह अपने अंडे तोड़ने के लिए चोंच का इस्तेमाल नहीं करता. बल्कि, टिटहरी अपने अंडे तोड़ने के लिए एक खास तरह के पत्थर का इस्तेमाल करता है. एक किंवदंती के अनुसार, टिटहरी अपने अंडों को पारस पत्थर से तोड़ती है, पारस पत्थर वह होता है जो लोहे को भी सोना बना दे. हालांकि, अभी तक किसी को ऐसा पत्थर मिला नहीं है.
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