Tree Man of Bundelkhand: उम्र 80 साल, शरीर झुक गया है, लेकिन जज़्बा आसमान को छूता है. छतरपुर जिले के डॉ. राजेश अग्रवाल को अब पूरा बुंदेलखंड ‘वृक्ष मित्र’ या ‘ट्री मैन’ कहकर पुकारता है. पेशे से डॉक्टर रहे डॉ. अग्रवाल ने 2014 में रिटायरमेंट के बाद अपना पूरा जीवन पर्यावरण सेवा को समर्पित कर दिया है.
उनका कहना है कि लोग मंदिर बनवाते हैं, मैं पेड़ लगाता हूं – यही मेरा धर्म है.
साढ़े तीन लाख पौधे लगाए, अब लक्ष्य 1 लाख सालाना
अब तक 3.5 लाख से ज्यादा पौधों का रोपण और वितरण कर चुके डॉ. अग्रवाल का साल 2025 में लक्ष्य है – 1 लाख पौधे और लगवाना. उनकी यह मुहिम सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, बल्कि हर पौधा उनकी आत्मा से जुड़ा है.
अपने खर्च पर गांव-गांव तक पौधे पहुंचाते हैं
किसी एनजीओ या सरकारी सहायता से नहीं, खुद के पैसों से ट्रैक्टर और पिकअप में डीज़ल भरवाकर गांव-गांव जाकर गरीब किसानों और ज़रूरतमंदों को पौधे वितरित करते हैं. उनका एक ही नियम है – “पौधे सिर्फ उन्हें जो सच में उनकी देखभाल करेंगे.”
पौधों की सेवा को मानते हैं संतान की परवरिश जैसा
डॉ. अग्रवाल सुबह 4 बजे उठ जाते हैं और देर रात तक पौधों की देखभाल में जुटे रहते हैं. “पैसा तो बहुतों के पास है, लेकिन जज़्बा नहीं. मैं पौधों को बच्चों की तरह पालता हूं,” वे भावुक होकर कहते हैं.
छायादार और फलदार पौधों को देते हैं प्राथमिकता
उनकी खुद की नर्सरी में इस समय 53,000 से अधिक पौधे तैयार हैं. इनमें नीम, पीपल, बरगद जैसे छायादार पेड़ हैं, तो वहीं आम, अमरूद, कटहल, नींबू और अनार जैसे फलदार पौधे भी लोगों को वितरित किए जाते हैं.
ये भी पढ़ें: सड़क हादसे में घायल? अब अस्पताल में नहीं लगेगी जेब पर चोट…छत्तीसगढ़ में लागू हुई कैशलेस स्कीम
Leave a Comment