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कभी सोचा है कि रात में अक्सर प्लेन की लैंडिंग के समय केबिन की लाइट धीमी क्यों कर दी जाती है? आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन बता दें कि इसके पीछे बड़ा कारण है, जो यात्रियों को संभावित बाहरी खतरों के लिए तैयार करत…और पढ़ें

AI से बनाई गई सांकेतिक तस्वीर.
हवाई जहाज का सफर सबसे तेज और आसान होता है. लेकिन इससे जुड़े कई ऐसे सीक्रेट्स हैं, जिनके बारे में यात्रियों को जानकारी भी नहीं होती है. आज हम आपको एक ऐसे प्लेन सीक्रेट के बारे में बताने जा रहे हैं. कभी आपने सोचा है कि लैंडिंग से पहले हवाई जहाज के केबिन की लाइट को धीमा क्यों कर दिया जाता है? आपको शायद जानकारी नहीं होगी, लेकिन यह सिर्फ माहौल को शांत करने के लिए नहीं, बल्कि आपकी सुरक्षा से जुड़ा एक जरूरी कदम है. अंधेरे में देखने की आदत से लेकर इमरजेंसी में रास्ता ढूंढने तक, यह छोटी सी बात जिंदगी और मौत का फर्क पैदा कर सकती है.इसके पीछे की साइंस और सुरक्षा के कारण हैं. दरअसल, हमारी आंखों को अंधेरे में पूरी तरह देखने की आदत डालने में 10 से 30 मिनट लगते हैं. इसे ‘डार्क अडैप्टेशन’ कहते हैं. अगर इमरजेंसी में अचानक लाइट्स बंद हो जाएं, तो बिना इस आदत के आप कुछ नहीं देख पाएंगे.
ऐसे में हवाई जहाज की लैंडिंग से पहले केबिन लाइट्स धीमी करके क्रू और यात्रियों की आंखों को अंधेरे के लिए तैयार किया जाता है. इससे, अगर बिजली चली जाए, तो भी आप सुरक्षित बाहर निकल सकते हैं. इस दौरान आपको विमानों में फर्श पर रोशनी वाले रास्ते और निकास के संकेत दिखते हैं, जो इमरजेंसी में रास्ता दिखाते हैं. लेकिन तेज केबिन लाइट्स की चमक इन संकेतों को देखने में बाधा डाल सकती है. लाइट्स धीमी करने से इन संकेतों और अंधेरे के बीच का कंट्रास्ट बढ़ता है, जिससे वे साफ दिखते हैं. यह तेज और सुरक्षित निकासी के लिए जरूरी है, खासकर रात में जब बाहर अंधेरा होता है.
बाहर के खतरों का जायजा और बिजली की बचत
टेकऑफ और लैंडिंग के वक्त खिड़कियों के शेड्स खुला रखना सिर्फ सुझाव नहीं, बल्कि सुरक्षा नियम है. खुले शेड्स से फ्लाइट अटेंडेंट बाहर की स्थिति (जैसे आग या मलबा) देख सकते हैं, जो निकासी के रास्ते को प्रभावित कर सकती है. धीमी लाइट्स यात्रियों और क्रू को बाहर का नजारा साफ देखने में मदद करती हैं, जिससे इमरजेंसी में सही फैसले लेना आसान होता है. इसके अलावा टेकऑफ और लैंडिंग विमान के सबसे अहम चरण हैं, जहां हर सिस्टम को पूरी ताकत चाहिए. केबिन लाइट्स धीमी करके बिजली का बोझ कम किया जाता है, ताकि जरूरी सिस्टम्स को ज्यादा पावर मिले. अगर लैंडिंग रद्द हो या दोबारा टेकऑफ करना पड़े, तो यह बची बिजली काम आती है. यह छोटा कदम विमान की सुरक्षा और प्रदर्शन को बढ़ाता है.
इस तरह से हम आपको बता दें कि लैंडिंग से पहले केबिन के अंदर लाइट बंद करने से आपको बाहर की चीजें बिल्कुल साफ दिखाई देती हैं. ऐसे में इमरजेंसी के समय यात्री व क्रू तेजी से हालात समझकर बाहर निकल सकते हैं. इससे साफ है कि रात में लैंडिंग से पहले केबिन लाइट्स धीमी करना एक सोचा-समझा सुरक्षा कदम है. यह आंखों को अंधेरे के लिए तैयार करता है, इमरजेंसी संकेतों को साफ दिखाता है, बाहर की स्थिति समझने में मदद करता है, बिजली बचाता है और भटकाव कम करता है. अगली बार जब लाइट्स धीमी हों, तो समझ लें, यह मूड बनाने के लिए नहीं, बल्कि आपकी जान बचाने की तैयारी है. क्या आपने कभी इस छोटे कदम के पीछे की बड़ी वजह पर गौर किया था? यह कहानी हमें हवाई यात्रा की बारीकियों और सुरक्षा की अहमियत सिखाती है.

न्यूज़18 हिंदी (Network 18) डिजिटल में सीनियर एसोसिएट एडिटर के तौर कार्यरत. इंटरनेशनल, वेब स्टोरी, ऑफबीट, रिजनल सिनेमा के इंचार्ज. डेढ़ दशक से ज्यादा समय से मीडिया में सक्रिय. नेटवर्क 18 के अलावा टाइम्स ग्रुप, …और पढ़ें
न्यूज़18 हिंदी (Network 18) डिजिटल में सीनियर एसोसिएट एडिटर के तौर कार्यरत. इंटरनेशनल, वेब स्टोरी, ऑफबीट, रिजनल सिनेमा के इंचार्ज. डेढ़ दशक से ज्यादा समय से मीडिया में सक्रिय. नेटवर्क 18 के अलावा टाइम्स ग्रुप, … और पढ़ें
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