धरती के कुछ सबसे कीमती खनिजों में से एक है – सोना. खूबसूरत और चमकता हुआ पीला सोना भला किसे बुरा लगता है. हर कोई चाहता है कि वो सोने के आभूषण पहने या फिर कम से कम उसके पास सोने के गहने तो हों ही. हालांकि धरती पर क्या इतना सोना है भी कि हर किसी के पास ये चमकती हुई धातु मौजूद हो!
आज हम आपको ऐसी बात बताएंगे, जिसे सुनकर आप बस खुश हो जाएंगे. दरअसल धरती के अंदर सोने का पूरा भंडार छिपा हुआ है, जो सामने आ जाए, तो जिस सोने की कीमत एक लाख रुपये तक पहुंच चुकी है, वो काफी सस्ता हो जाएगा. हालांकि ये सब इतना भी आसान भी नहीं है क्योंकि धरती सिर्फ उतनी ही नहीं, जितना हम उसे समझते हैं.
धरती के अंदर छुपा है सोने का बड़ा भंडार
धरती के भीतर एक ऐसा रहस्य छुपा है, जो सुनकर आप हैरान रह जाएंगे. वैज्ञानिकों ने हाल ही में खोजा है कि धरती के कोर यानी उसके केंद्र में सोने का एक विशाल भंडार मौजूद है, जो धीरे-धीरे धरती की सतह की ओर रिस रहा है. इस खोज को लेकर वैज्ञानिक इतने उत्साहित हैं उनका कहना है कि हमने सचमुच सोना पा लिया है.
धरती के कोर में छुपा है 99.999% सोना
धरती के कोर में मौजूद 99.999 फीसदी सोना धरती की सतह से लगभग 2,900 किलोमीटर नीचे, बेहद कठोर चट्टानों के बीच दबा हुआ है. इस गहराई तक इंसान आसानी से पहुंच नहीं सकता. ऐसे में यह सोना हमारे लिए एक रहस्य ही बना हुआ था. डॉ. निल्स मेस्लिंग बताते हैं कि कहते हैं कि जब उन्हें शोध के पहले नतीजे मिले, तो वे आश्चर्यचकित रह गए. उनका कहना है – ‘हमने पाया कि कोर से सोना और अन्य कीमती धातुएं मंटल यानी धरती की ऊपरी परत में रिस रही हैं. यह एक बड़ी खोज है.’
धरती के इनर कोर में मौजूद है सोना ही सोना. (AI Generated)
कैसे रिस रहा है सोना?
नया शोध हवाई द्वीप के ज्वालामुखीय चट्टानों पर आधारित है. गॉटिंगटन यूनिवर्सिटी में जियोकैमिस्ट्री डिपार्टमेंट के डॉक्टर निल्स ने इस स्टडी के बारे में बताते हुए कहा है कि वैज्ञानिकों ने इन चट्टानों की बहुत गहराई से जांच की और पाया कि धरती के कोर से सोने के साथ-साथ अन्य कीमती धातुएं ऊपर की परतों में आ रही हैं. हालांकि धरती के कोर से यह रिसाव इतना धीमा है कि हम सीधे देख नहीं सकते. चट्टानों के विश्लेषण से इसका पता चलता है.
हवाई की लावा चट्टानों में मिली खास धातु
वैज्ञानिकों ने हवाई की ज्वालामुखीय चट्टानों में रुथेनियम नामक एक धातु की जांच की, जिसे आइसोटोप 100Ru कहते हैं. इसकी मात्रा कोर में मैंटल (धरती की ऊपरी परत) की तुलना में ज्यादा होती है. शोध में पाया गया कि सतह की चट्टानों में भी इस आइसोटोप की मात्रा अधिक थी, जो दिखाता है कि ये चट्टानें सीधे कोर और मैंटल की सीमा से निकली हैं.
कब तक धरती के ऊपर आ जाएगा सोना?
प्रोफेसर मैथियास विलबोल्ड ने बताया कि इससे यह भी साबित होता है कि धरती का कोर उतना अलग-थलग नहीं है जितना पहले माना जाता था. धरती बनने के समय, भारी तत्व जैसे सोना कोर की ओर डूब गए थे. ऐसे में सतह पर जो सोना मिलता है, वह उल्कापिंडों के गिरने से आया. हालांकि अब पता चला है कि कोर से भी सोना रिस रहा है. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह रिसाव बहुत धीमा है और सोना तेजी से सतह पर नहीं आ रहा. फिर भी, यह खोज हमारी समझ को बदलती है कि कीमती धातुएं कैसे बनती हैं. यानि अगली बार जब आप सोना देखें, तो सोचिए कि यह चमक धरती की गहराई से आई है.
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