इस ट्रैक्टर को न चलाएंगे..न बेचेंगे, अनोखी ‘जिद’ के कारण 30 साल से खड़ा, परिवार शान से बताता है वजह

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Ajab Gajab News: किस्मत कहें या जिद, बड़े अरमान से घर लाने के बाद एक ट्रैक्टर चल ही नहीं पाया. 30 साल हो गए, घरवाले न उसे चलाते हैं, न बेचते हैं. वजह पूछने पर शान से कहानी सुनाते हैं..जानें छतरपुर का दिलचस्प किस…और पढ़ें

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पिछले 30 साल से एक ही जगह खड़ा ट्रैक्टर 

हाइलाइट्स

  • 30 साल से एक ही जगह खड़ा ट्रैक्टर
  • परिवार में बंटवारे के बाद ट्रैक्टर लावारिस
  • संयुक्त परिवार की निशानी के रूप में रखा

Chhatarpur News: आपको एक ऐसे ट्रैक्टर की कहानी सुनाते हैं, जो 30 साल से एक जगह पर खड़े-खड़े इतिहास रच रहा है. इस ट्रैक्टर का जो हश्र हुआ, उसकी वजह जानने के बाद लोग सिर खुजाते दिखते हैं. यकीन ही नहीं होता कि भला ऐसी क्या टशन थी कि ट्रैक्टर को लावारिस छोड़ दिया गया. जो भी नया व्यक्ति गांव में आता है, वह इस ट्रैक्टर की कहानी सुनकर उसको देखने जरूर जाता है.

छतरपुर जिले में एक ऐसा ट्रैक्टर है, जिसे खेती के लिए खरीदा गया था, लेकिन दुर्भाग्यवश आज भी वैसा ही खड़ा है, जैसे 30 साल पहले खड़ा था. दरअसल, द्विवेदी परिवार ने 30 साल पहले इस ट्रैक्टर को खरीदा था. लेकिन, उसी दौरान परिवार में बंटवारा हो गया. उस समय ट्रैक्टर का भी बंटवारा हो गया. लेकिन, यह ट्रैक्टर किसी के हिस्से में नहीं आया. बिना मालिक का यह ट्रैक्टर आज भी वैसा ही खड़ा है.

बिना मालिक का ट्रैक्टर
सुशील द्विवेदी बताते हैं कि यह ट्रैक्टर साल 1993 में खरीदा गया था. उस समय आसपास के 25 गांवों में भी ट्रैक्टर नहीं होता था. 30 साल पहले ट्रैक्टर खरीदना बहुत बड़ी बात थी. हमारे बाबा ने उस समय इस ट्रैक्टर को खरीदा था. लेकिन, खरीदने के लगभग 3 महीने बाद ही परिवार में भाइयों का बंटवारा हो गया. बंटवारे में यह ट्रैक्टर किसी को नहीं मिला. इसके चलते आज भी यह जस का तस खड़ा है.

मिट्टी में धंसे ट्रैक्टर के पहिए
30 साल से एक ही जगह रखे होने की वजह से इस ट्रैक्टर के आसपास पेड़-पौधे भी उग आए हैं. साथ ही ट्रैक्टर के पहिए भी मिट्टी में धंस गए हैं.

ट्रैक्टर बना शो पीस
सुशील बताते हैं कि जो भी यहां से गुजरता है, वह एक बार इस ट्रैक्टर को देखने के लिए जरूर आता है. लोग पूछते हैं कि यह नया ट्रैक्टर ऐसे क्यों खड़ा है. सभी लोग इसकी कहानी सुनते हैं.

नहीं बेचना चाहते ट्रैक्टर
सुशील बताते हैं कि यह ट्रैक्टर हमारे पुरखों की निशानी है. जब हमारा परिवार मिलजुलकर एक साथ रहता था, तब इसे खरीदा गया था. यह ट्रैक्टर हमारे संयुक्त परिवार की निशानी है. इसलिए हम इसे बेचना नहीं चाहते हैं. इसको खरीदने के लिए बहुत लोग आए, लेकिन हमने इसे बेचा नहीं.

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