Last Updated:
चीन के वैज्ञानिकों ने एक नया लेजर बनाया है. यह 1.36 किमी दूर से चावल के दाने जितने छोटे अक्षर पढ़ सकता है. सामान्य टेलीस्कोप ऐसा नहीं कर सकते. यह तकनीक हवा के कारण होने वाली धुंध को कम करती है. इसका उपयोग पुरात…और पढ़ें

इस लेज़र ने सामान्य टेलीस्कोप की क्षमता से बहुत बेहतरप्रदर्शन किया है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: )
हाइलाइट्स
- चीनी वैज्ञानिकों ने 1.36 किमी दूर से अक्षर पढ़ने वाली लेजर बनाई
- यह तकनीक पुरातत्व और पर्यावरण अनुसंधान में उपयोगी हो सकती है
- लेजर तकनीक में सुधार के लिए AI का उपयोग किया जा सकता है
दूर की चीज़ों को साफ साफ देख पाना एक चुनौती है. वैज्ञानिक और अन्य एक्सपर्ट्स इसके लिए दूरबीन का इस्तेमाल करते हैं. पर आखिर कोई दूरबीन कितना सटीक और कितनी दूर तक साफ साफ देख सकती है? एक्सपर्ट्स बताते हैं कि सामान्य टेलीस्कोप इतनी दूरी से केवल 42 मिलीमीटर आकार की चीजें देख सकते हैं. यह छोटे अक्षर पढ़ने के लिए बहुत बड़ा है. लेकिन चीनी वैज्ञानिकों ने इसे एक कदम आगे बढ़ कर एक चमत्कारिक तकनीक विकसित है. उन्होंने एक ऐसी लेजर तकनीक विकसित की है जो चौंकाने वाली है. यह लेजर 1.36 किलोमीटर दूर से बहुत छोटे अक्षर पढ़ सकता है. ये अक्षर चावल के दाने से भी छोटे होते हैं.
सामान्य टेलीस्कोप से बहुत ही बेहतर
यह खोज सामान्य टेलीस्कोप और दूरबीन से बहुत आगे है. और इसकी खास बात इसकी बारीकी से देखने की काबिलियत ही है. वैज्ञानिकों ने अपनी स्टडी में बताया कि यह नई तकनीक छोटी-छोटी चीजों को देखने में मदद करती है. इस स्टडी को ‘फिजिकल रिव्यू लेटर्स’ नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है.
लंबी दूरी की दिक्कतें
लंबी दूरी से छोटी चीजें देखना आसान नहीं होता है. हवा में मौजूद धुंध और प्रकाश का बिखराव तस्वीर को धुंधला कर देता है. सामान्य लेजर और टेलीस्कोप को सटीक दिशा में रखना मुश्किल होता है. लेकिन वैज्ञानिकों ने ‘सक्रिय इंटरफेरोमेट्री’ नाम का एक नया तरीका अपनाया है. इस तकनीक में प्रकाश की तस्वीर पर ध्यान देने की बजाय, यह देखा जाता है कि प्रकाश किसी सतह पर कैसे पड़ता है.
नई लेज़र तकनीक ने बहुत दूर से बही बारिक देख पनाने क्षमात विकसित कर ली है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
उपयोगी साबित होगी ये
इस तरीके से वैज्ञानिकों ने 1.36 किमी दूर से मिलीमीटर आकार की चीजों को देखा. यह सामान्य टेलीस्कोप की तुलना में 14 गुना बेहतर है. वैज्ञानिक मानते हैं कि यह तकनीक भविष्य में बहुत उपयोगी साबित होगी. इसका उपयोग उच्च-रिज़ॉल्यूशन इमेजिंग और सेंसिंग में हो सकता है.
कुछ सीमाएं भी हैं इसकी
लेकिन इस तकनीक की कुछ सीमाएं भी हैं. इसमें लेजर को काम करने के लिए सीधी रेखा में देखना जरूरी है. अगर रास्ते में कोई रुकावट हो, तो यह काम नहीं करेगा. दूसरा, लक्ष्य को लेजर से रोशन करना पड़ता है. इसलिए, यह उन जगहों पर उपयोगी नहीं है जहां गुप्त निगरानी की जरूरत हो. जैसे, जासूसी के लिए इसका उपयोग मुश्किल है.
यह भी पढ़ें: Viral Video: सुपरमार्केट में भर गया था पानी, डूबे हुए सेब छांट रहा था शख्स, लोगों को हुआ ये शक!
एआई से जोड़ने से होगा फायदा
वैज्ञानिक इस तकनीक को और बेहतर करना चाहते हैं. वे लेजर को नियंत्रित करने का आसान तरीका ढूंढ रहे हैं. वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग भी करना चाहते हैं. AI तस्वीरों को और सटीक बना सकता है. इससे लेजर का उपयोग और आसान हो जाएगा.
यह तकनीक कई क्षेत्रों में क्रांति ला सकती है. पुरातत्वविदों के लिए यह एक वरदान हो सकता है. वे बिना मेहनत किए प्राचीन चीजों का अध्ययन कर सकते हैं. पर्यावरण वैज्ञानिक दूर के जंगलों और जानवरों की निगरानी कर सकते हैं. यह तकनीक वैज्ञानिक अनुसंधान को नई दिशा दे सकती है. फिर भी कुछ लोग इस तकनीक को लेकर चिंतित भी हैं. अगर इसका गलत उपयोग हुआ, तो यह गोपनीयता के लिए खतरा बन सकता है.

As an exclusive digital content Creator, specifically work in the area of Science and technology, with special interest in International affairs. A civil engineer by education, with vast experience of training…और पढ़ें
As an exclusive digital content Creator, specifically work in the area of Science and technology, with special interest in International affairs. A civil engineer by education, with vast experience of training… और पढ़ें
Leave a Comment