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मक्खियां आमतौर पर बहुत परेशान करने वाली जीव होती हैं. पर साइंटिस्ट्स मक्खियों को स्पेस स्टेशन भेज रहे हैं. ये मक्खियां अंतरिक्ष में विकिरण के प्रभाव को समझने में मदद करेंगी. यह प्रयोग इंसानों को मंगल ग्रह की या…और पढ़ें

स्पेस स्टेशन में मक्खियां कई काम के नतीजे लाने में मदद करेंगीं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
हाइलाइट्स
- मक्खियां अंतरिक्ष में विकिरण के प्रभाव को समझने में मदद करेंगी.
- मक्खियों के डीएनए से नई दवाएं बन सकती हैं.
- यह मिशन 8 जून को शुरू होगा.
मानव मंगल ग्रह पर जाना चाहता है और ऐसा कर वह अंतर ग्रह यात्राओं की शुरुआत करना चाहता है. पर मंगल पर जाना चुनौती है. फिलहाल इंसान इतनी लंबी यात्रा के लिए तैयार नहीं हैं. इसके लिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर कई तरह के प्रयोग चल रहे हैं. वैज्ञानिकों ने अब मक्खियों को कुछ खास प्रयोगों के लिए चुना है. वे फल मक्खियों को आईएसएस भेज रहे हैं. ये मक्खियां पृथ्वी पर परेशान करने वाली हो सकती हैं. लेकिन वैज्ञानिकों को मानना है कि वे अंतरिक्ष में ये हीरो बन सकती हैं. ये मक्खियां इंसानों को गहरे अंतरिक्ष की यात्रा में मदद करेंगी.
ऐसा कर लेंगी मक्खियां?
यह अहम सवाल है और वैज्ञानिक इसी को ध्यान में रख कर ही इस मिशन की तैयारी कर रहे हैं. यह मिशन 8 जून को शुरू होगा. इसे एक्सियॉम स्पेस का Ax-4 मिशन कहते हैं. वैज्ञानिक मक्खियों पर अंतरिक्ष के विकिरण का असर देखेंगे. इससे मिलने वाली जानकारी से नई दवाएं बन सकती हैं. ये दवाएं अंतरिक्ष यात्रियों को मंगल ग्रह पर जाने जैसे लंबे मिशनों में सुरक्षित रखेंगी
मक्खियां ही क्यों?
फल मक्खियों में 75% जीन इंसानों की बीमारियों से जुड़े हैं. ये तेजी से बढ़ती हैं. ये बहुत मजबूत भी हैं. इनके लार्वा, यानी छोटी मक्खियां, ज्यादा विकिरण सह सकती हैं. ज्यादातर जीव इतना विकिरण नहीं झेल सकते. गिरीश ने कहा, “वैज्ञानिक देख रहे हैं कि अंतरिक्ष का विकिरण डीएनए पर क्या असर करता है.” डीएनए हमारे शरीर का निर्देश मैनुअल है. यह हमें स्वस्थ रखता है.
मक्खियां कम समय तक जीती हैं और उनके डीएनए इंसान से काफी मेल भी खाता है. इसलिए प्रयोग के लिए उपयुक्त हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
बहुत अधिक उम्मीद
वैज्ञानिक जांच करेंगे कि मक्खियां विशेष प्रोटीन बना सकती हैं या नहीं. ये प्रोटीन विकिरण से खराब हुए डीएनए को ठीक कर सकते हैं. अगर ऐसा हुआ, तो नई दवाएं बन सकती हैं. ये दवाएं अंतरिक्ष यात्रियों को लंबी यात्राओं में सुरक्षित रखेंगी. गिरीश ने इसे “सुपरहीरो शील्ड” की तरह बताया. यह अंतरिक्ष यात्रियों को विकिरण से बचाएगा.
अकेले मक्खियों पर नहीं होगा प्रयोग
यह प्रयोग नासा के बायोसेंटिनल मिशन के साथ मिलकर काम करेगा. बायोसेंटिनल मिशन तीन साल पहले शुरू हुआ था. इसमें एक छोटा अंतरिक्ष यान है, जिसे क्यूबसैट कहते हैं. यह यान यीस्ट कोशिकाओं को लेकर अंतरिक्ष में है. यह पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से बाहर है. यीस्ट कोशिकाएं इंसानी कोशिकाओं की तरह डीएनए नुकसान को संभालती हैं. . अगर मक्खियां या यीस्ट डीएनए ठीक करने का तरीका दिखाते हैं, तो अंतरिक्ष यात्रियों के लिए नए उपाय बन सकते हैं.
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मक्खियों का फायदा
ये छोटी मक्खियां अंतरिक्ष में सुरक्षा का रास्ता दिखा सकती हैं. ये लंबी अंतरिक्ष यात्राओं को सुरक्षित बना सकती हैं. जैसे, स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क का मंगल ग्रह पर कॉलोनी बनाने का सपना. फल मक्खियां छोटी हैं, लेकिन उनकी ताकत बड़ी है. वे तेजी से बढ़ती हैं. उनका जीवन चक्र छोटा होता है. इससे वैज्ञानिक जल्दी नतीजे मिल सकेंगे. ये मक्खियां अंतरिक्ष के कठिन माहौल में भी जीवित रह सकती हैं. इसलिए, ये प्रयोग के लिए सही हैं.
यह मिशन हमें अंतरिक्ष के रहस्यों को समझने में मदद करेगा. वैज्ञानिकों का मानना है कि ये छोटे जीव बड़े बदलाव ला सकते हैं. अगर ये प्रयोग सफल हुए, तो भविष्य में अंतरिक्ष यात्री ज्यादा सुरक्षित होंगे.

As an exclusive digital content Creator, specifically work in the area of Science and technology, with special interest in International affairs. A civil engineer by education, with vast experience of training…और पढ़ें
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