लाइलाज रोग से पीड़ित ये महिला हो चुकी है लाचार, जल्दी मरने की है ख्वाहिश, मौत की कर रही है प्लानिंग!

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एम्मा ब्रेको मोटर न्यूरॉन बीमारी है. इसकी वजह से वे हर तरह से लाचार हो चुकी हैं. यहां तक कि वे अपने बच्चों के गले भी नहीं लग सकती हैं. बीमारी उनके बच्चों से उनकी माँ को छीन रही है. वहीं नहीं चाहती हैं कि उनके ब…और पढ़ें

लाइलाज रोग से पीड़ित ये महिला हो चुकी है लाचार, मौत की कर रही है प्लानिंग!

लाचार करने वाले मोटर न्यूरॉन रोग की वजह से महिला धीरे धीरे नहीं बल्कि जल्दी मरना चाहती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)

हाइलाइट्स

  • एम्मा ब्रेको ने खुद मौत की प्लानिंग बना रही हैं
  • मोटर न्यूरॉन रोग से पीड़ित एम्मा लाचार हो चुकी हैं
  • एम्मा नहीं चाहतीं कि बच्चे उनकी दर्दनाक मौत देखें

कई बार कुछ लोग बीमारी में इतने लाचार हो जाते हैं कि वे मौत ही मांगने लग जाते हैं. यहां तक कि उनके घरवालों से भी उनकी तकलीफ देखी नहीं जाती है. इस तरह के दया मृत्यु वाले मामले दुनिया के कई देशों की अदालतों में सुने जाते हैं. पर कई बार कुछ लोग इतने लाचार हो जाते हैं कि वे जल्दी मरने में ही अपने रिश्तेदारों का भला चाहते हैं. 42 साल की एम्मा के साथ ऐसा ही हो रहा है. उन्हें मोटर न्यूरॉन रोग (MND) जो एक लाइलाज न्यूरोलॉजिकल बीमारी है. आज वे जल्दी से जल्दी मरना चाहती हैं और खाना पीना छोड़ कर मरने पर विचार कर रही है. इसकी एक खास वजह भी है.

कैसा है ये रोग?
मोटर न्यूरॉन रोग मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है. इससे मांसपेशियाँ कमजोर हो जाती हैं. दो साल पहले एम्मा को इसका पता चला था. तब वे बहुत परेशान हो  गई थीं क्योंकि उन्हें अपने 15 और 14 साल की बेटियों की चिंता थी.

लाचार होती जा रही हैं
चार स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने एम्मा को बताया था कि उन्हें यह सबसे खराब बीमारी है.” वह पहले चैरिटी में काम करती थीं. उन्होंने सैकड़ों घरेलू हिंसा पीड़ितों और बेघर लोगों की मदद की है. पर आज वह अपने बच्चों को गले भी नहीं लगा सकतीं. उनकी आवाज, खाना और साँस लेना मुश्किल हो गया है. वह केवल बिस्तर पर ठीक महसूस करती हैं.

मोटर न्यूरॉन रोग मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)

नहीं कर सकती हैं ये बुनियादी काम
वह आँखों की गति से संचार करने वाली मशीन का उपयोग करती हैं. वह रात में अकेले नहीं रह सकतीं. वह बुनियादी काम नहीं कर सकतीं. वह खुजली नहीं मिटा सकतीं. वह चश्मा ठीक नहीं कर सकतीं. वह चादर तक नहीं हटा सकतीं.

शांतिपूर्ण मौत की चाह
सबसे दुख की बात ये है कि वो अपने बच्चों को गले नहीं लगा सकतीं. यह मेरे बच्चों से उनकी माँ छीन रही है.” वह बच्चों के दुख को कम करना चाहती हैं. इसलिए वह स्वैच्छिक रूप से खाना-पीना बंद (VSED) करेंगी. वह नहीं चाहती कि बच्चे उनकी दर्दनाक मौत देखें. वह शांत और शांतिपूर्ण मृत्यु चाहती हैं.

मौत की प्लानिंग
एम्मा की तबितय रोज़ बिगड़ रही हैं. साँस लेना मुश्किल है. भूख कम है. वह दम घुटने से बचने की कोशिश करती हैं. वह लक्षण छिपाती हैं. वह गर्मियों में खाना पीना छोड़ना शुरू करेंगी. वह चाहती हैं कि बच्चे बिना पढ़ाई की चिंता के शोक मना सकें.

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मज़बूत हैं बच्चे पर
जबकि उनके बच्चे अद्भुत हैं. उन्होंने माँ की हालत बिगड़ते देखी. वे उनकी हर मदद करते हैं. उनके घर में देखभाल करने वाले आते रहते हैं. बच्चे स्कूल जाते हैं और हँसते हैं. यह उनकी मजबूती दिखाता है. लेकिन वे अपनी माँ को मिस करते हैं.

एम्मा कहती हैं, ” माँ को खोने का कोई सही समय नहीं है. लेकिन मैं इसे आसान बनाना चाहती हूँ.” वह असिस्टेड डाइंग बिल के लिए सांसदों से अपील करती हैं. यह बिल छह महीने से कम समय वाले लोगों को शांतिपूर्ण मृत्यु दे सकता है. MNDA ने उनकी मदद की. उनकी नर्स उनकी ताकत है.

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Vikas Sharma

As an exclusive digital content Creator, specifically work in the area of Science and technology, with special interest in International affairs. A civil engineer by education, with vast experience of training…और पढ़ें

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