30,000 फीट की ऊंचाई पर थी प्लेन, अचानक बिगड़ी महिला की तबीयत, मरने ही वाली थी, लेकिन तभी…

रोजाना लाखों लोग हवाई जहाज से यात्रा करते हैं. एरोप्लेन से सफर सबसे तेज और आसान माना जाता है. लेकिन कई बार प्लेन से जुड़े ऐसे हादसे हमारी आंखों के सामने आ जाते हैं, जिनके बारे में सुनकर कलेजा कांप उठता है. आज हम आपको एक ऐसी ही महिला के बारे में बताने जा रहे हैं, जो 30 हजार फीट की ऊंचाई पर प्लेन में थी. 14 घंटे के इस सफर में महिला की अचानक तबीयत बिगड़ गई. एक पल के लिए ऐसा लगा कि बस वो मरने ही वाली है. लेकिन तभी प्लेन में मौजूद डॉक्टर ने उस महिला का इलाज शुरू किया. इसके बाद भी तबीयत में कोई सुधार नहीं दिखा तो डॉक्टर ने तुरंत हवाई जहाज के पायलट को इमरजेंसी लैंडिंग के लिए मनाया. किस्मत की बात थी कि सही समय पर फ्लाइट की आपात लैंडिंग हो गई और महिला की जान बच गई. इस 35 साल की महिला का नाम मार्सिएला हर्नांडेज क्वेजादा (Marciela Hernandez Quezada) है, जो मेक्सिको की रहने वाली हैं.

मार्सिएला 30 मई 2025 को तुर्की से अपने घर मेक्सिको लौट रही थीं. उन्हें प्लेन से मेक्सिको पहुंचने में 14 घंटे लगने वाले थे. प्लेन सही समय पर उड़ान भर ली. 30 हजार फीट की ऊंचाई पर एक समय सबकुछ सही चल रहा था, लेकिन अचानक मार्सिएला की ज़िंदगी खतरे में पड़ गई. DailyMail के मुताबिक, उड़ान के दौरान मार्सिएला ने एक बार भी अपनी सीट नहीं छोड़ी और पानी भी नहीं पिया. अचानक उन्हें बोलने में दिक्कत महसूस होने लगी. वो अपने पास बैठे लोगों से भी बातचीत नहीं कर पा रही थीं. उन्हें सबकुछ धुंधला सा दिखने लगा और अगले ही पल वो विमान में बेहोश हो गईं. ऐसे में विमान में मौजूद एक डॉक्टर ने तुरंत उन्हें ऑक्सीजन देने लगा. लेकिन हालत में सुधार नहीं दिखा. ऐसे में डॉक्टर ने पायलट से प्लेन को ह्यूस्टन, टेक्सास में आपात लैंडिंग कराने मांग की. पायलट ने भी हालात को समझा और प्लेन को ह्यूस्टन एयरपोर्ट पर उतार दिया.

हॉस्पिटल में डॉ हारिस कमाल से बात करती हुई मार्सिएला. अब उनकी हालत में सुधार है.

मार्सिएला को तुरंत ह्यूस्टन के मेमोरियल हरमन अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां पता चला कि इस हादसे की वजह से उनका बायां पैर पूरी तरह लकवाग्रस्त था, जबकि दाएं हाथ की भी हालत ठीक नहीं थी. डॉक्टरों ने बताया कि मार्सिएला ने लंबे समय तक पानी नहीं पिया और ना ही हिली-डुलीं, जिसकी वजह से उनका खून गाढ़ा हो गया. ऐसे में उनकी टांग में खून का थक्का (डीप वेन थ्रॉम्बोसिस) बना. ये थक्का उनके दिमाग तक पहुंचा, जिससे स्ट्रोक आ गया. हालांकि, इलाज के बाद मार्सिएला की हालत में सुधार है. एक वीडियो में मार्सिएला ने कहा, “मैं हैरान थी कि ये क्या हो गया. मैं न धूम्रपान करती हूं, न शराब पीती हूं. फिर ये कैसे हुआ? मुझे एहसास हुआ कि मैंने विमान में हिलना-डुलना छोड़ दिया था.” एक्सपर्ट्स का कहना है कि 4-6 घंटे तक बिना हिले बैठने से टांगों में खून जमा हो जाता है, जो दिल तक नहीं पहुंच पाता. तंग सीटें और डिहाइड्रेशन से पानी की कमी हो जाती है, जो खून को और गाढ़ा करता है, जिससे थक्के बनने का खतरा बढ़ता है.

मेमोरियल हरमन के स्ट्रोक प्रोग्राम डायरेक्टर डॉ. हारिस कमाल (Dr Haris Kamal) ने बताया, “मार्सिएला की हालत गंभीर थी, लेकिन आपात थ्रॉम्बेक्टॉमी सर्जरी से उनके दिमाग का थक्का निकाला गया.” इस सर्जरी में टांग की नस से कैथेटर डालकर थक्का हटाया जाता है. डॉ. कमाल ने कहा, “कुछ महीनों में वो लगभग पूरी तरह ठीक हो सकती हैं. कोई नहीं कहेगा कि उन्होंने इतना बड़ा स्ट्रोक झेला.” स्ट्रोक का इलाज कई महीनों की फिजियोथेरेपी और स्पीच थेरेपी से होता है. अमेरिका में हर 40 सेकंड में किसी को स्ट्रोक होता है, और हर साल 1,60,000 लोग इससे मरते हैं. युवाओं में स्ट्रोक बढ़ रहा है, जिसका कारण मोटापा, धूम्रपान या कमज़ोर नसें हो सकती हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि लंबी उड़ानों में हर 2-3 घंटे में उठकर चलें और खूब पानी पिएं. मार्सिएला अभी अस्पताल में हैं या मेक्सिको लौट गईं, ये स्पष्ट नहीं, लेकिन उनकी पूरी रिकवरी की उम्मीद है. उन्होंने कहा, “डॉक्टरों और नर्सों ने मेरी जान बचाई. मैं खुद को नया इंसान महसूस करती हूं.”

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