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डेराइन की आंख में 9 साल की उम्र से काला धब्बा था. सालों तक डॉक्टर भी इसे नजरअंदाज करते थे, फिर धीरे धीरे माइग्रेन और पिर आंख में सूजन बढ़ी. आखिर में आंख का ऑपेशन होने के 19 साल की उम्र में पता चला कि उसे एक दु…और पढ़ें

आंखों की जांच मे हर बार डेराइन की बीमारी के बारे में कुछ पता नहीं चल रहा था. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
हाइलाइट्स
- डेराइन की आंख में 9 साल की उम्र से काला धब्बा था
- 19 साल की उम्र में पता चला कि उसे दुर्लभ कैंसर है
- डेराइन ने कैंसर के इलाज की जगह आंख निकलवाने का फैसला किया
एक लड़की की आंख में 9 साल की उम्र में ही कुछ गड़बड़ थी. लोगों को उसकी आंख काली दिखती थी. शुरू में उसने भी कुछ साल इसे कुदरती दाग की तरह नजरअंदाज किया. बाद में डॉक्टर से जांच कराई तो उन्होंने कह दिया कि समस्या बड़ी नहीं है. उसे बताया गया कि उसे वेकल आंख के पीछे एक नुकसान ना करने वाले धब्बे जैसा है. कुछ सालों तक उसने उस धब्बे को आइलाइनर से छिपाया. पर जब उसने इसे हटवाने के लिए ऑपरेशन करवाया, तो उसके बाद उसे पता चला कि उसे तो एक तरह का कैंसर है.
काली है आंख?
यह कहानी है 19 साल की डेराइन की. डेराइन बताती हैं कि पहले उन्हें बुरा लगता था जब लोग उनसे कहते थे कि उनकी आंख काली है. लंबे समय से आंख के एक दाग को छिपाने के लिए आइलाइनर और फिर नकली आइलैशेज़ का इस्तेमाल करती रही. लेकिन कई जगह, जैसे नाइटक्लब में उसे बाउंसर्स को समझाना पड़ता था कि उनकी आंख काली नहीं, बल्कि ठीक है.
माइग्रेन की समस्या
धीरे धीरे डेराइन को धब्बे के अलावा आंख में सूजन और कभी कभी माइग्रेन जैसा दर्द भी होने लगा. पहले उसे लगा कि पानी की कमी की वजह से ऐसा है, लेकिन इसके उपाय से कुछ फर्क नहीं पड़ा. पर इसे भी वह सामान्य बात ही समझती रही. उसे लगा कि माइग्रेन तो बहुत से लोगों को होता रहता है इसमें चिंता की क्या बात है. इसलिए उसे भी कभी नहीं लगा कि माइग्रेन को आंख से भी संबंध हो सकता है. फिर भी कई बार उसे आंख में दर्द होने लगता था.

आंख का ऑपरेशन करने के बाद डॉक्टरों को पता चला कि डेराइन को दुर्लभ कैंसर है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
फिर हुआ खुलासा
डॉक्टरों ने भी कहा कि वैसे तो आंख में ऑपरेशन की जरूरत नहीं है, लेकिन डेराइन की तसल्ली के लिए वे आंख का ऑपरेशन कर दाग हटाने को राजी हो गए. आखिर डॉक्टर ने उनके इस दाग को सर्जरी से हटा दिया. लेकिन यह राहत लंबे समय तक नहीं रही क्योंकि डॉक्टर ने एक महीने बात ही डेराइन को बताया कि उन्हें एक दुर्लभ कैंसर है. इसे एल्वियोलर सॉफ्ट पार्ट सर्कोमा (ASPS) कहते हैं. इस खबर ने डेरेनन को सकते में डाल दिया.
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आंख निकलवाने का फैसला
दुखी होने के बाद भी डेराइन ने एक बड़ा फैसला लिया. उन्होंने अन्य लोगों की तरह इसका इलाज नहीं कराने का फैसला किया. उन्होंने कैमियोथेरेपी और रेडियोथेरेपी का विकल्प चुनने की जगह अपनी आंख ही निकलवाने का फैसला किया और एक प्रोस्थेटिक आंख लगवा ली. वे बताती हैं कि उन्हें इस बात की बिलकुल उम्मीद नहीं थी कि उनकी समस्या की जड़ में कैंसर निकलेगा. यह ऐसा कैंसर है जो मांसपेशी या फैट जैसी नरम टिशू या ऊतक से शुरू होता है और वह शरीर में कहीं भी हो सकता है.
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