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Ajab Gajab: दिनेश माथुर ने बताया कि रेडियो के संग्रह करने का शौक उन्हें करीब 11 सालों से लगा हुआ है. परिवार के सदस्य पहले इसके लिए बहुत झगड़ते थे, लेकिन शौक ऐसा लगा कि घर के सदस्य भी मान गए. दिनेश करीब 5 साल पह…और पढ़ें

1200 से अधिक रेडियो का संग्रह है.
हाइलाइट्स
- दिनेश माथुर का 1200 से अधिक रेडियो का संग्रह
- 11 साल पहले रेडियो संग्रह का शौक लगा
- 1929 का सबसे पुराना रेडियो भी संग्रह में शामिल
बीकानेर. कहते हैं कि शौक बड़ी चीज होती है और ताना मारने के बाद यह शौक और भी बढ़ जाता है. बीकानेर के दिनेश माथुर इसका जीता-जागता उदाहरण हैं. ताना सुनने के बाद उन्होंने रेडियो का ऐसा शौक पाल लिया कि आज उनके पास 1200 से अधिक रेडियो का संग्रह है. आधुनिक युग में भी लोग रेडियो का संग्रह कर रहे हैं और अपनी पहचान बना रहे हैं. दिनेश माथुर के पास सैकड़ों रेडियो हैं, जिनमें से अधिकांश आज भी चालू स्थिति में हैं.
11 साल पहले हुई थी शुरुआत
दिनेश माथुर ने बताया कि रेडियो का संग्रह करने का शौक उन्हें करीब 11 साल पहले लगा. पहले परिवार के सदस्य इसके लिए झगड़ते थे, लेकिन धीरे-धीरे वे भी मान गए. दिनेश करीब 5 साल पहले पंचायत समिति में ग्राम विकास अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं. उनके परिवार में पत्नी, एक बेटा और एक बेटी हैं. दिनेश बताते हैं कि उनके पास जो रेडियो हैं, वे सभी अनमोल हैं और उनकी कोई कीमत नहीं है. वे इन्हें बेचने का इरादा नहीं रखते.
1929 का सबसे पुराना रेडियो
यहां रेडियो, ट्रांजिस्टर, एफएम, रिकॉर्ड प्लेयर करीब 100 से 150 साल पुराने हैं. फिलिप्स, मरफी, नेल्को, नेशनल पैनासोनिक, एचएमवी सहित जर्मनी, इंग्लैंड, हॉलैंड में बने रेडियो और ट्रांजिस्टर का संग्रह देखने लायक है. दिनेश के पास 1929 का सबसे पुराना रेडियो है.
रिश्तेदार के ताने से हुई अजीब शौक की शुरुआत
दिनेश बताते हैं कि करीब 10 साल पहले जब उन्होंने एक रिश्तेदार के घर में रेडियो देखा, तो वह उन्हें बहुत पसंद आया. उस व्यक्ति ने ताना मारा कि इस रेडियो को लेने की तुम्हारी हैसियत नहीं है. इसके बाद दिनेश ने ठान लिया कि वे इस रेडियो को खरीदेंगे और संग्रह करेंगे. उन्होंने उस रेडियो की फोटो लेकर अपने ग्रुप और रिश्तेदारों को भेजी और कहा कि मुझे ऐसा रेडियो खरीदना है. बाद में जब दिनेश ने ओएलएक्स पर यह रेडियो देखा, तो उन्होंने इसे ऑर्डर कर लिया. यह रेडियो उन्होंने उस समय 700 से 800 रुपए में खरीदा था.
रेडियो लेने के लिए 15 हजार रुपए किये खर्च
दिनेश ने बताया कि इतने रेडियो का संग्रह जगह-जगह से इकट्ठा करके हुआ है. कई बार वे कबाड़ से रेडियो लेकर आते थे, तो कई बार लोगों ने उन्हें गिफ्ट में रेडियो दिया. एक बार तो उन्होंने कबाड़ या लोगों से रेडियो लेने के लिए 15 हजार रुपए भी खर्च किए.
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