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छतरपुर जिले में लोकप्रिय पोई भाजी एक पारंपरिक और पौष्टिक सब्जी है, जिसे पौधे के कोमल डंठलों को छीलकर बनाया जाता है. गर्मियों में यह बेलदार पौधा पान के बरेजा में उगता है. यह भाजी स्वादिष्ट होने के साथ-साथ प्रोटी…और पढ़ें

पाई भाजी पौधा
हाइलाइट्स
- छतरपुर जिले में लोकप्रिय पोई भाजी एक पारंपरिक और पौष्टिक सब्जी है.
- इसे पौधे के कोमल डंठलों को छीलकर बनाया जाता है.
- गर्मियों में यह बेलदार पौधा पान के बरेजा में उगता है.
छतरपुर: छतरपुर जिले की पारंपरिक सब्जियों में पोई भाजी एक खास पहचान रखती है. स्थानीय भाषा में प्रसिद्ध यह भाजी स्वाद में लाजवाब और सेहत के लिए फायदेमंद मानी जाती है. इसका पौधा बेल की तरह होता है, जो रस्सियों के सहारे ऊपर चढ़ाया जाता है. दिलचस्प बात यह है कि इसकी पत्तियों का उपयोग नहीं किया जाता, बल्कि इसके कोमल डंठलों को छीलकर स्वादिष्ट सब्जी बनाई जाती है.
बचपन की यादों से जुड़ा है स्वाद
स्थानीय किसान रमाशंकर बताते हैं कि पोई भाजी उनका बचपन का हिस्सा रही है. हम इसे बचपन से खाते आए हैं और यह आज भी हमारे भोजन का जरूरी हिस्सा है. रमाशंकर कहते हैं कि इस भाजी में प्रोटीन और विटामिन भरपूर मात्रा में होते हैं. वे बताते हैं कि हालांकि वे कोई पोषण विशेषज्ञ नहीं हैं, लेकिन सालों का अनुभव उन्हें इसकी खूबियों को समझने में सक्षम बनाता है.
गर्मियों का है अनुकूल पौधा
पोई भाजी को सालभर उगाया जा सकता है, लेकिन गर्मियों का मौसम इसके लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है. इसकी बेल लगभग 12 फुट तक लंबी हो सकती है और यह अकसर पान के बरेजा (पान की खेती वाले क्षेत्र) में पाई जाती है. इसकी बेलें तेज़ी से बढ़ती हैं और नियमित कटाई के लिए तैयार रहती हैं.
केवल डंठल ही बनता है व्यंजन का हिस्सा
इस पौधे की सबसे खास बात यह है कि इसकी सब्जी बनाने के लिए न पत्तों का उपयोग किया जाता है और न ही फल का. केवल नए और कोमल डंठलों को छीलकर भाजी तैयार की जाती है. इसे मूंग या उड़द की दाल के साथ मिलाकर बनाया जाता है, जिससे इसका स्वाद और भी बढ़ जाता है. कई लोग इसे केवल मसालों के साथ सादी भाजी के रूप में भी बनाकर खाते हैं.
पोई भाजी न केवल छतरपुर की सांस्कृतिक पहचान है, बल्कि यह एक स्वास्थ्यवर्धक विकल्प भी है जिसे आज भी ग्रामीण और शहरी परिवारों में बड़े चाव से खाया जाता है.
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