मिस्र में दबी है 3000 कमरों की भूलभुलैया, पिरामिडों से भी पुरानी होने का दावा!

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मिस्र के हवारा शहर के नीचे 3 हजार कमरों की भूलभुलैया होने का दावा किया गया है, जो पिरामिडों के दौर से पहले की है. हैरानी की बात ये है कि इतिहासकार हेरोडोटस ने भी 2500 साल पहले इसका जिक्र किया था. इसके अलावा कई …और पढ़ें

मिस्र में दबी है 3000 कमरों की भूलभुलैया, पिरामिडों से भी पुरानी होने का दावा!

दावा किया जा रहा है कि यह भूल भुलैया वहीं है जिसका दावा 2500 साल पहले इतिहासकार हेरोडोटस ने किया था. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)

मिस्र की पुरातन संरचनाएं और वहां के पिरामिड जितने रहस्यमयी दिखते हैं, उससे कहीं ज्यादा हैं. पिछले कुछ सालों में इनके बारे में कई नए तरह के दावे सामने आए हैं.  कुछ ऐसी संरचनाओं का पता चला है जिन्होंने मिस्र के रहस्यों को गहराने का काम किया है. हाल के समय में मिस्र के पिरामिड के नीचे कई गहराई में कई चीज़ों के बारे में कुछ खुलासों का दावा भी किया गया है. एक शोधपत्र में अनूठा दावा किया गया है कि मिस्र के शहर हवारा के नीचे करीब 3 हजार कमरों की भूलभुलैया है जो वहां कि पिरामिडों के दौर के भी पहले बने थे.

2500 साल पहले भी किया गया था ऐसा दावा
इस तरह का दावा 2500 साल पहले इतिहासकार और भूगोलशास्त्री हेरोडोटस ने भी किया था.  माना जाता है कि इस तरह की सरंचना क पुरातन पिरामिड वाले दौर के मिस्र की सभ्यता के पहले भी एक उन्नत और संगठित समाज ने बनाया था. लेकिन फिलहाल आज के एक्सपर्ट्स इसकी पुष्टि नहीं कर सके हैं. पर 2023 में “द लिब्रिंथ, द कोलोसी एंड द लेक” रिसर्च पेपर में इस भूलभुलैया होने का दावा किया गया है.

पिरामिड के युग से भी पहले
शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने ऐसे सबूत हासिल किए हैं जिनसे पता चलता है कि हवारा के नीचे एक बहुत ही बड़ा पिरामिड है जिसमें बहुत सारे कमरे हैं. यह गीजा की पिरामिड से कहीं बड़ा और रहस्यमयी है. अब बहुत से लोग ऐसी तकनीक का इस्तेमाल करने के पक्ष में हैं जिनसे बिना खुदाई किए ही गहराई में छिपी इन संरचनाओं का पता लगाया जा सकता है. इनमें राडार और सैटेलाइट स्कैनिंग की मदद से सच उजागर करने में मदद मिल सकती है.

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दावा किया जाता रहा है कि ये संरचनाएं पिरामिडों से भी हजारों साल पहले की हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)

पहले भी लिखा जा चुका है इनके बारे में
पुरातन इतिहासकारों  इन भूल भुलैया और उसके अनंत कमरों के बारे में लिखा है कि वे उनके ऊपर बने पिरामिडों से बहुत बड़े थे.  लेकिन एक सच यह भी है कि इस पर वैज्ञानिक एकमत नहीं हैं. हेरोडोटस पहली बार मिस्र में करीब 500 ईसापूर्व में आया था और उसे ऊपरी भूलभुलैया दिखाई गई थी. लेकिन उसे जमीन के नीचे की संरचनाओं में जाने की अनुमति नहीं मिल पाई थी.

क्या लिखा है उस संरचना के बारे में
हवारा का पिरामिड गीजा के पिरामिड जितना बड़ा तो नहीं था, लेकिन उसका बीच का विशाल हिस्सा तीन बड़ी चट्टानों से बना था बताया जाता है कि ये चट्टानें एक तरह के पुराने सुरक्षा तंत्र के रास्तों का बंद दरवाजों की तरह थे.

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इससे पहले 19वीं सदी में  मिस्र विशेषज्ञ सर फ्लिंडर्स पेट्रिये ने भी ऐसी भूलभुलैया की नींव की पहचान की थी, लेकिन पानी और तनकीक की कमी के कारण  वह गहन पड़ताल नहीं कर सके. कई लोग मानते हैं कि अगर उन्हें सही तरह से मदद मिल पाती तो उन्होंने जमीने के नीचे के उस सिस्टम को खोज लिया होता जिसका केवल किताबों और दस्तावेजों में जिक्र है, लेकिन कभी पता नहीं चल पाया. इस भूल भुलैया की तरह यह भी रहस्य है कि क्या उस दौर की सभ्यता और पिरामिड की सभ्यता के तार आपसे में जुड़े हुए थे?

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मिस्र में दबी है 3000 कमरों की भूलभुलैया, पिरामिडों से भी पुरानी होने का दावा!

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