उम्र 8 साल…मेमोरी कमाल, भीलवाड़ा की इस बेटी ने सिर्फ ढाई में पढ़ दी हनुमान चालीसा, रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ नाम

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भीलवाड़ा शहर की एक 8 वर्षीय बालिका सिया ने अपनी अद्भुत प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया है.  सिया ने मात्र 2 मिनट 30 सेकंड में हनुमान चालीसा का वाचन करके यह उपलब्धि ह…और पढ़ें

उम्र 8 साल…मेमोरी कमाल, भीलवाड़ा की बेटी ने सिर्फ ढाई में पढ़ दी हनुमान चालीसा

इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के साथ सिया

हाइलाइट्स

  • भीलवाड़ा की सिया ने 2.5 मिनट में हनुमान चालीसा पढ़ी.
  • सिया का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ.
  • सिया के माता-पिता ने उसकी उपलब्धि पर गर्व व्यक्त किया.

भीलवाड़ा. आज के आधुनिक स्वर में बदलती टेक्नोलॉजी के बीच आज के समय में आम व्यक्ति को अपना मोबाइल नंबर तक ठीक से याद नहीं रहता है लेकिन भीलवाड़ा की बेटी ने अपनी याददाश्त के जरिए जिले का नाम रोशन किया है. जी हां हम बात कर रहे हैं भीलवाड़ा की रहने वाली मात्र 8 साल की बेटी का जिसने सिर्फ ढाई मिनट में हनुमान चालीसा का वाचन कर एक रिकॉर्ड बना लिया है. 

भीलवाड़ा शहर की एक 8 वर्षीय बालिका सिया ने अपनी अद्भुत प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया है. सिया ने मात्र 2 मिनट 30 सेकंड में हनुमान चालीसा का वाचन करके यह उपलब्धि हासिल की है.

बनाया रिकॉर्ड इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स
सिया के माता-पिता रोहित और अंकिता अग्रवाल ने अपनी बेटी की इस उपलब्धि पर गर्व व्यक्त किया है. सिया की दादी बीना अग्रवाल ने बताया कि सिया को बचपन से ही धार्मिक संस्कारों में पाला गया है और उसे आरती, भजनों और धार्मिक मंत्रों में विशेष रुचि है. सिया ने बिना देखे हनुमान चालीसा का वाचन करके अपनी अद्भुत स्मरण शक्ति और धार्मिक ज्ञान का प्रदर्शन करते हुए इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया है. इस उपलब्धि से सिया के परिवार और भीलवाड़ा शहर के लोगों में खुशी की लहर है.

बच्चों का धार्मिक भावनाओं में जोड़ना जरूरी
रोहित अग्रवाल ने बताया कि सिया की इस उपलब्धि से यह साबित होता है कि यदि बच्चों को सही दिशा और समर्थन मिले, तो वे अद्भुत चीजें हासिल कर सकते हैं. सिया की इस उपलब्धि से अन्य बच्चों को भी प्रेरणा मिलेगी और वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित होंगे. आज के दौर में बच्चें सोसल मीडिया के बीच बच्चों में मोबाइल का चलन बहुत बढ़ रहा है. ऐसे में बच्चों को धार्मिक अनुष्ठान और भावनाओं से जोड़ना जरूरी है.

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