Universe can begin to end at any moment scientists explains the process – कभी भी हो सकती है ब्रह्माण्ड खत्म होने की शुरुआत, जानिए कैसे होगा ये!

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ब्रह्माण्ड 13.6 अरब साल पुराना माना जाता है और एक दिन इसकरा खत्म होना तय है. पर वैज्ञानकों का कहना है कि अंत की शुरुआत किसी भी समय हो सकती है. इसके लिए . हिग्स फील्ड की अस्थिर अवस्था जिम्मेदार होगी जिससे भौतिकी…और पढ़ें

कभी भी हो सकती है ब्रह्माण्ड खत्म होने की शुरुआत, जानिए कैसे होगा ये!

वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी भले ही ब्रह्माण्ड स्थिर लग रहा हो, पर इसके अंत की शुरुआत कभी भी हो सकती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)

हाइलाइट्स

  • ब्रह्माण्ड का अंत कभी भी शुरू हो सकता है.
  • हिग्स फील्ड की अस्थिर अवस्था जिम्मेदार होगी.
  • भौतिकी के नियम बदल जाएंगे और जीवन समाप्त हो जाएगा.

ब्रह्माण्ड कुछ सदियों में नहीं बना है. यह बीते 13.6 अरब सालों से है. तारे, गैलेक्सी, ग्रह लंबे समय से बनते आ रहे हैं और खत्म हो रहे हैं. पर क्या ब्रह्माण्ड कभी खत्म भी हो सकता है. बिलकुल वैज्ञानिक मानते हैं कि एक समय आएगा जब ये खत्म हो जाएगा. ग्रह, तारे, गैलेक्सी सब खत्म हो जाएंगी. यह कब होगा यह तय नहीं है. एक रिसर्च में दावा किया गया है कि इसकी शुरुआत कभी भी हो सकती है. वैसे तो अगर हालात अभी जैसे ही रहते उसमें अरबों खरबों साल लग जाएंगे. पर हालत किसी भी बदल सकते हैं और ब्रह्माण्ड खत्म होने की प्रक्रिया तब तेजी से शुरू हो जाएगी.

ब्रह्माण्ड की स्थिति
वैज्ञानिकों को कहना है कि फिलहाल ब्रह्माण्ड वैक्यूम स्टेट में हैं. इस अवस्था में ब्रह्माण्ड काफी स्थिर होता है. लेकिन यह किसी भी समय बदल सकती है. ऐसा करने के पीछे एक क्वांटम फील्ड की भूमिका हो सकती है. इसकी वजह से एक अस्थिर अवास्था आ सकती है जिसे इंस्टेबलिटी कहते हैं. भौतिकी में इसें फॉल्स वैक्यूम डीके कहते हैं.

तूफान में समा जाएगा सब कुछ
जब उस क्वांटम फील्ड की नई अवस्था आएगी तो सब कुछ बदल जाएगा. एक तूफान जैसे हालात पैदा होंगे और सब कुछ खत्म होकर उसी तूफान में समा जाएगा. लेकिन इसके साथ ही भौतिकी के नियम भी बदल जाएंगे. ये तब ये समझने के लिए हम इंसान पहले ही खत्म हो चुके होंगे.

हिग्स फील्ड की निचली अवस्था?
इस क्वांटम फील्ड का नाम है हिग्स फील्ड, यह भी कणों को भार और कुछ खास गुण देने का काम करती है. वैज्ञानिकों को लगता है कि फिलहाल तो हिग्स फील्ड समय अस्थाई वैक्यूम अवस्था में हो सकती है और उससे भी निचली अवस्था में आ सकती है. अभी भले ही वह अपने न्यूनतम स्तर पर ना हो, पर एक दिन ऐसा जरूर होगा.

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वैज्ञानिकों का कहना है कि एक तूफान आएगा और सब कुछ उसमें समाना शुरू कर देगा. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Shutterstock)

बदल जाएंगे सारे नियम कानून
ऐसे हालात में  ब्रह्माण्ड में भौतिकी और रसायन शास्त्र के नियम तक बदल जाएंगे.  कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डेविड टोंग का कहना है कि ऐसा होगा तो हाइड्रोजन को छोड़ कर सभी तत्व खत्म होकर टूट जाएंगे. तब न्यूक्लियर रिएक्शन यानी नाभकीय प्रतिक्रियाएं काम नहीं करेंगीं.  तारे चमकना बंद कर देंगे. जीवन खत्म हो जाएगा. ब्रह्माण्ड जैसा आज है , वैसा कहीं नहीं रहेगा.

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जर्मनी में फोर्सचुंग्सेंट्रम जुलिच के पीएचडी शोधकर्ता जाका वोडेब और उनकी टीम के अध्ययन में इस महाविनाश के पीछे के कारण को कॉस्मोलॉजिकल बबल बताया गया है. जब सही वैक्यूम एक हिस्से से पूरे ब्रह्माण्ड में फैलेगा तो यह बुलबुला बनेगा जो बहुत ही जटिल प्रतिक्रियाओं से फैलेगा.  जो आखिरकार ब्रह्माण्ड के अंत की वजह बन जाएगा. भले ही इसे पूरी तरह से खत्म होने में खरबों साल लग जाएंगे, लेकिन इसकी शुरुआत कभी भी हो सकती है.

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