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चेक रिपब्लिक में दो यात्रियों को पहाड़ पर चढ़ते समय एक लोहे का बक्सा मिला. इसमें सोने के सिक्के सहति अन्य कई कीमती वस्तुएं थीं. म्यूजियम ने इसकी कीमत करोड़ों में रुपये आंकी है. यात्रियों को खोज की कुल कीमत का …और पढ़ें

यात्रियों को जो मिला वह बहुत ही ज्यादा कीमती खजाना था. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
हाइलाइट्स
- यात्रियों को पहाड़ पर मिला करोड़ों का खजाना
- खजाने में सोने के सिक्के और कीमती वस्तुएं थीं
- यात्रियों को खोज की कुल कीमत का 10% मिलेगा
किस्मत हर किसी पर मेहरबान नहीं होती है. कई होती है तो पूरी तरह से नहीं होती है. लेकिन चेक रिपब्लिक में दो पर्वतारोहियों की तो जैसे किस्मत ही खुलने वाली थी. पहाड़ पर चढ़ते हुए एक जगह पर अचानक ही उनमें से एक का पैर किसी चीज़ से टकराया, गौर से देखने पर उन्हें एक लोहे का बक्सा और कैन मिला. बक्सा खोलने पर उसमें से बहुत कीमती खजाना मिल गया. बेशक यह ऐतिहासिक खजाना था. लेकिन देश के कानून के मुताबिक यह खजाना भी उनकी किस्मत खोलने के लिए काफी था.
कैसे मिला खजाना?
दोनों पर्वतारोही चेक गणराज्य के पोडक्रकोनोसी पर्वतों पर इस साल की शुरुआत में चढ़ाई कर रहे थे कि उनका सामना एक छोटे एल्यूमीनियम का कैन और एक लोहे के बक्से से हुआ. उसके अंदर बेशकीमती खजाना देख उन्होंने फैसला किया कि उन्हें इसे पूर्वी बोहेमिया के म्यूजियम ले जाना चाहिए.
क्या क्या मिला खजाने में
जब म्यूजियम के पुरातत्वविभाग के प्रमुख मिरोस्लाव नोवाक ने बताया कि जब पर्वतारोही उनके पास वह बक्सा लेकर आए और जब उन्हें खोला तो वह पूरी तरह से हैरान रह गए. इसके बाद म्यूजियम ने इसका मूल्याकंन किया. लोहे के बक्से में 16 छोटे सोने के डिब्बे, 10 कंगन, एक वायर बैग, एक कंघी, एक चेन और एक पाउडर कॉम्पैक्ट रखा था. वहीं कैन में 598 सोने के सिक्के थे जो 11 हिस्सों में काले कपड़े में लिपटे रखे थे.

खजाने में अगल-अलग देशों के सिक्के थे. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
ऐतिहासिक तौर पर अनमोल है खजाना
यह खजाना लाखों करोड़ों का है. नोवाक का कहना की इसकी कीमत कम से कम 2 करोड़ 88 लाख रुपये होगी. लेकिन इतिहास के लिहाज से ये संपत्ति अनमोल है. सिक्कों के एक्सपर्ट वोजटेक ब्राडले का कहना है कि कई सिक्कों में 1808 से लेकर 1915 के बीच की तारीखें लगी हैं. उन्होंने बताया कि ये सिक्के विएना टकसाल से निकले थे और बाल्कन्स तक पहुंच गए थे. वहीं यह खजाना जमीन में कम से कम सौ साल तक गड़ा रहा था.
अलग-अलग जगह से आए थे सिक्के
सभी सिक्के एक ही जगह के नहीं थे, इनमें से कुछ सर्बिया में 1920 और 1930 के दशक में बने थे. जबकि दूसरे फ्रांस, बेल्जियम, तुर्की, रोमानिया, इटली और रूस से आए थे. ब्राडले ने बताया कि उन्हें इस बात का कोई अंदाजा नहीं है कि ये सिक्के बोहेमिया कैसे पहुंचे, लेकिन इसको लेकर कई कहानियां हैं. नोवाक का कहना की कीमती सामान जमीन में गाड़ना बहुत पुराने समय से चली आ रही रीत है.
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कुछ शोधकर्ता मानते हैं कि यह सब जर्मन नात्जियों के हमले से बचने के लिए इस खजाने को छिपा दिया गया था. कुछ का यह भी मानना है कि नात्ज़ियों ने द्वितीय विश्व युद्ध में पीछे हटते हुए इस खजाने के यहीं गाड़ दिया था. बहरहाल चेक कानून के मुताबिक, पर्वतारोही को इस खोज की कुल कीमत का 10 फीसदी हिस्सा मिलेगा
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