पलामू. झारखंड में एक आस्था के साथ एक युग की कहानी छुपी है. यहां से कोयल नदी का खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है, जहां नदी की बहती कलकल धारा के किनारे बैठना और घंटो वक्त गुजारना लोगों को खूब रोमांचित करता है. यहां मछुवारे लोग नौका भी चलाते हैं, जिसे देख लोग आनंदित होते है.
भीम के बारे में कौन नहीं जानता, जो कि द्वापर युग में सबसे बलवान योद्धा था, जिनके ताकत का अंदाजा आप इस चूल्हे से लगा सकते हैं, जिसे भीम ने स्वयं तैयार किया था, जहां की माता कुंती आज से 5 हजार साल पहले भोजन पकाई थी. उनके कई सबूत यहां मौजूद है, जिसके ऐतिहासिक धरोहर मानते हुए पर्यटन विभाग द्वारा विकसित किया गया है.
क्यों है इस जगह का नाम भीम चूल्हा?
माता कुंती और पांच पाडंव अज्ञात वास के समय पर पलामू में रहा करते थे. इस दौरान माता कुंती सबों के लिए खाना पकाया करती थीं. इसके लिए भीम ने चूल्हा तैयार किया था, जो की आज भी उसी स्थिति में मौजूद है. बाद में उस जगह को लोगों ने भूीम चूल्हा कहना शुरू कर दिया. इस जगह पर आज भी पांडवों और माता कुंती के पैरों के निशान मौजूद हैं. साथ ही पांचों पांडवों और माता कुंती की प्रतिमा भी बनाई गई है. भीम के हाथी भी यहां मौजूद है.
5 हजार साल पुराना चूल्हा
भीम कितने बलवान थे, इस बात का अंदाजा उनके चल्हे से लगाया जा सकता है. भीम ने खुद 3 विशाल पत्थरों को जोड़कर चूल्हा तैयार किया था. अब चूल्हा 5 हजार साल पुराना हो गया है, लेकिन आज भी मजबूत है. चूल्हे का वजन 170 टन बताया जाता है.
भीम और पांडवों की रहस्यमयी गुफा
रांची से घूमने आई सोनम शर्मा ने बताया कि भीम चूल्हा से जुड़ी एक गुफा का किस्सा भी सुनाया जाता है. इस गुफा में कभी भीम और पांडव माता कुंती के साथ रहा करते थे. पर, आज यह गुफा कोयल नदी के नीचे है. कई लोगों ने इस गुफा की जानकारी लेने की कोशिश की, पर सफलता किसी के भी हाथ नहीं लगी, जिसके गहराई का अंदाजा भी नहीं लगाया जा सका है.
पत्थर के हथिया बाबा
मदन सिंह ने बताया कि यहां एक हथिया बाबा भी हैं, जो कि पत्थर के है. जिनकी पूजा श्रद्धालुओं द्वारा की जाती है. ये हथिया बाबा तबसे लेकर अबतक पत्थर के हैं. चुकीं माता कुंती और पांचों पांडवों ने उन्हें श्राप दे दिया था. जिस कारण वो पत्थर के बन गए.
हर साल 14 जनवरी को लगता है मेला
हर साल 14 जनवरी के दिन यहां मेला लगता है. सावन के महीने में भी लोग पहुंचते हैं. पलामू के बाहर के लोग भी इस मेले में हिस्सा लेते हैं. भगवान शिव का भी 100 साल पुराना एक मंदिर भीम चूल्हा के पास मौजूद है.
कैसे पहुंचे यहां?
भीम चूल्हा मोहम्मद गंज रेलवे स्टेशन पास है. भीम चूल्हा स्टेशन से 3 किलोमीटर दूर है. सबसे नजदीक बस स्टैंड हुस्सैनाबाद है. आप बस या ट्रेन से यहां आसानी से पहुंच सकते हैं. सिर्फ भीम चूल्हा ही नहीं उसके आसपास भी घूमने की कई जगहें मौजूद हैं.
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