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वैज्ञानिकों ने पाया कि इंसान सहिति सबी जीवित प्राणी बायोफोटोन नाम का महीन प्रकाश उत्सर्जित करते हैं. यह प्रकाश मरने के बाद निकलना बंद हो जाता है. यह अध्ययन चूहों और पौधों में प्रमाणित हुआ है. वैज्ञानिक इसे चिकि…और पढ़ें

मानव शरीर और अन्य सभी जीवित जीव एक खास तरह के प्रकाश, बायोफोटोन को निकालते रहते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
हाइलाइट्स
- इंसान मरने के बाद बायोफोटोन प्रकाश नहीं निकालता.
- बायोफोटोन प्रकाश बहुत धुंधला होता है.
- चूहों और पौधों में भी बायोफोटोन की मौजूदगी पाई गई.
जीवन और मौत पर वैज्ञानिक हमेशा ही प्रयोग करते रहे हैं. यह युग भी इसका अपवाद नहीं है. इस युग में मौत के समय इंसान को कैसा अहसास होता है और मौत के बाद इंसान का क्या होता है, इस पर कई शोधकार्य हुए हैं और हो रहे हैं. मौत से संबंधित एक रोचक रिसर्च में वैज्ञानिकों ने एक नया दावा किया है. एक बार तो सुनने में यह शायद अजीब लगे, लेकिन ऐसा है नहीं. वैज्ञानिकों को कहना है कि इंसान जिंदा रहते हुए एक प्रकार का प्रकाश निकालता रहा है, जो मरने के बाद उसके शरीर से निकलना बंद हो जाता है. खास बात ये है कि यह दावा हर तरह के जीव के बारे में किया गया है.
बायोफोटोन की मौजूदगी
कैलगरी यूनिवर्सिटी और नेशनल रिसर्टच काउंसिल कनाडा के संयुक्त प्रयोग में वैज्ञानिकों ने पाया कि चूहों और पौधों दोनों में ही एक अजीब से बायोफोटोन की मौजूदगी के प्रमाण देखने को मिले हैं. उन्होंने बताया कि बायोफोटोन प्रकाश के महीन हिस्से फोटोन के बहुत ही कमजोर प्रकार होते हैं, जो जीवित प्राणी उत्सर्जित करते हैं.
बहुत ही धुंधला होता है ये प्रकाश
कैलगरी यूनिवर्सिटी के भौतिकविद वाहिद सलारी और उनकी टीम का दावा है की यह प्रकाश इतना धुंधला होता है कि उसे नंगी आंखों से देखा ही नहीं जा सकता है. उन्होंने पाया कि वे चूहों को मरने से पहले और बाद में निकलने वाले इन बायोफोटोन को कैद कर सकते हैं. उन्होंने पाया कि दोनों ही स्थितियों में बहुत ही ज्यादा अंतर देखने को मिलता है.
हर जीवित पौधा भी जीवित इंसानों की तरह बायोफोटोन का उत्सर्जन करता रहता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Shutterstock)
पौधों में भी मिले वही नतीजे
अध्ययन थैले क्रेस और बौने छतरी के पेड़ की पत्तियों पर भी किया गया, जिससे समान नतीजे सामने आए.पौधों को कुचलकर उन पर दबाव डालने से इस बात के पुख्ता सबूत मिले कि प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन प्रजातियाँ वास्तव में नरम चमक के पीछे हो सकती हैं. शोधकर्ताओं ने अपनी रिपोर्ट में लिखा, “हमारे नतीजे बताते हैं कि सभी पत्तियों में चोट वाले हिस्से, इमेजिंग के सभी 16 घंटों के दौरान पत्तियों के अप्रभावित हिस्सों की तुलना में काफी चमकीले थे.”
क्या पहले भी कहा जा चुका है ये?
रोचक बात ये है कि पहले भी कई तरह से दावा किया जाता रहा है कि इंसान के शरीर से एक तरह से उर्जा निकलती रहती है और उसके मरने के बाद निकलना बंद हो जाती है. लेकिन इसे अभी तक वैज्ञानिक तौर पर प्रमाणित नहीं किया जा सका था. इस अध्ययन में पाया गया है कि जीवन का स्वरूप ही इस तरह की ऊर्जा निकालता रहता है जब तक कि वह जीवित रहता है.
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दिलचस्प बात ये है कि 2009 के एक अलग अध्ययन ने यह भी सुझाव दिया कि मनुष्य बायोलुमिनसेंट हैं. अध्ययन लेखकों ने उस समय लिखा था. “मानव शरीर सचमुच चमकता है. “शरीर द्वारा उत्सर्जित प्रकाश की तीव्रता हमारी नंगी आँखों की संवेदनशीलता से 1000 गुना कम है.” लेकिन सलारी और उनकी टीम का मानना है कि इस स्वस्थ चमक की निगरानी करने में सक्षम होने से चिकित्सा विशेषज्ञों को एक बहुत ही काम का लेकिन ताकतवर उपकरण साबित हो सकता है.

As an exclusive digital content Creator, specifically work in the area of Science and technology, with special interest in International affairs. A civil engineer by education, with vast experience of training…और पढ़ें
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