Generational Thieves Village: खानदानी चोरों का गांव, यहां दादा भी चोर, पापा भी चोर और पोते भी निकले चोर

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Generational Thieves Village: क्या आप एक ऐसे गांव के बारे में जानते हैं जहां खानदानी चोर रहते हैं? अगर नहीं तो चलिए हम आपको बताते हैं.

खानदानी चोरों का गांव! यहां दादा भी चोर, पापा भी चोर और पोते भी निकले चोर...

चोरों का गांव (image credit-canva)

हाइलाइट्स

  • खानदानी चोर हैं इस गांव के लोग
  • दादा भी चोर, पापा भी चोर, पोता भी चोर
  • जमानत के लिए अलग से रखते हैं पैसे

Generational Thieves Village: चोरों की कहानियां तो आपने खूब सुनी होंगी, लेकिन क्या आपने कभी एक ऐसे गिरोह के बारे में सुना है जहां पूरा गिरोह चोर ही नहीं खानदानी चोर है? अगर नहीं तो चलिए हम आपको बताते हैं इस चोर गांव का राज.

हम बात कर रहे हैं तमिलनाडु के श्रीरंगम तालुका स्थित रामजी नगर गांव की, जहां चोरी करना एक परंपरा और पेशा माना जाता है. इस गांव का एक पूरा गिरोह पीढ़ी दर पीढ़ी न केवल चोरी कर रहा है, बल्कि उसे धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यता मानता है.

दादा भी चोर, पापा भी चोर, पोता भी चोर
रामजी नगर के इस गिरोह की खासियत यह है कि वे चोरी को सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि पूर्वजों से प्राप्त एक परंपरा मानते हैं. दादा ने किया, पिता ने निभाया और अब पोता उसे आगे बढ़ा रहा है. जब भी ये लोग चोरी के लिए गांव से बाहर निकलते हैं, वे सबसे पहले खास पूजा-पाठ और उपवास करते हैं. वे मानते हैं कि अगर ईश्वर और पूर्वज प्रसन्न हैं, तो चोरी अवश्य सफल होगी. यहां तक कि चोरी पर जाने से पहले ये लोग अपने पूर्वजों से आशीर्वाद मांगते हैं, जैसे कोई किसान अपने हल को खेत में चलाने से पहले धरती मां से प्रार्थना करता है.

शातिर प्लानिंग और महंगी कारों पर नजर
गिरोह की प्लानिंग भी किसी प्रशिक्षित अपराधी से कम नहीं. ये लोग पहले उस इलाके का गहराई से रिसर्च और जानकारी लेते हैं, जहां चोरी करनी है. ये लोग महंगी कारों को अपना प्रमुख निशाना बनाते हैं. जहां भी कोई लग्जरी गाड़ी दिखी, गिरोह के सदस्य वहां पहुंचकर मौका देखते हैं. फिर पत्थरों या विशेष औजारों से कार की खिड़की तोड़ते हैं और अंदर रखा कीमती सामान लैपटॉप, नकदी, मोबाइल, घड़ी लेकर फरार हो जाते हैं. ये सब इतनी सफाई से करते हैं कि आसपास के लोग कुछ समझ भी नहीं पाते.

जमानत के लिए रखते हैं अलग से पैसे
इस गिरोह की एक और दिलचस्प बात यह है कि ये आपस में कोडवर्ड में बात करते हैं. यानी बातचीत किसी आम भाषा में नहीं, बल्कि एक खास लैंग्वेज में होती है जिसे गांव के बाहर के लोग समझ नहीं सकते. इससे पुलिस को इनके नेटवर्क का पता लगाने में काफी समय लग जाता है. चोरी के बाद ये लोग न केवल चोरी के माल को बराबर-बराबर बांटते हैं, बल्कि हर सदस्य कुछ राशि अलग रखता है. ये राशि वे लोग अगर गिरफ्तार या पकड़े जाएं तो जमानत के लिए रखते हैं. जिससे जमानत के समय उन्हें तो पैसे की कमी से परेशानी नहीं होती.

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