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Gonda News: लोकल 18 से बातचीत के दौरान ग्राम सभा लालपुर के प्रधान प्रतिनिधि गौरव सिंह बताते हैं कि पहले इसका नाम ‘लोलापुर’ था, जो समय के साथ ‘लोलपुर’ हो गया. अब सोशल मीडिया के जमाने में यह नाम नई पीढ़ी के लिए म…और पढ़ें

लोलपुर
गोंडा: उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के नवाबगंज क्षेत्र में स्थित ‘लोलपुर’ गांव आजकल अपने नाम को लेकर सोशल मीडिया पर चर्चा में है. आमतौर पर जब कोई मैसेज या चैट में ‘लोल’ लिखा जाता है, तो उसका मतलब होता है “Laughing Out Loud” यानी जोर से हंसना. ऐसे में जब किसी को ‘लोलपुर’ नाम सुनने को मिलता है, तो उन्हें ये नाम किसी मजाक या मीम जैसा लगता है.
मीम्स बनाते हैं लोग
लोकल 18 से बातचीत के दौरान ग्राम सभा लालपुर के प्रधान प्रतिनिधि गौरव सिंह बताते हैं कि पहले इसका नाम ‘लोलापुर’ था, जो समय के साथ ‘लोलपुर’ हो गया. अब सोशल मीडिया के जमाने में यह नाम नई पीढ़ी के लिए मनोरंजन का कारण बन गया है. लोग यहां की फोटो या साइनबोर्ड देखकर मीम्स बनाते हैं और शेयर करते हैं.
कहां-कहां दे चुके हैं नाम बदलने के लिए पत्र: गौरव सिंह बताते हैं कि लोलपुर का नाम बदलने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के यहां दो बार पत्र दे चुके हैं, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हो रही है. उन्होंने बताया कि गोंडा का या आखिरी जिला और अयोध्या जिले से सटा हुआ हमारा ग्राम सभा है. इसका नाम या तो अयोध्या पर कोई नाम रख दिया जाए या हमारे यहां स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़े राजा देवी बख्श सिंह के नाम पर रख दिया जाए.
क्यों बनाते हैं लोग मजाक: गौरव सिंह का कहना है कि हम लोग कहीं बाहर जाते हैं, तो हमारे गांव का काफी मजाक बनाया जाता है इससे हम लोग को काफी शर्म आती है. हमारे गांव का नाम बदलना चाहिए, ताकि हम लोग भी अपने गांव का नाम गर्व से ले सकें.
ग्रामीणों का क्या है कहना: महेश पांडे बताते हैं कि हम लोलपुर ग्राम सभा के निवासी हैं. उन्होंने बताया कि अंग्रेजो के समय इस गांव का नाम लोलापुर पर था, लेकिन वर्तमान समय में इस गांव का नाम लोलपुर पड़ गया है. उन्होंने बताया कि हम रिलेशन में या कहीं और जाते हैं और अपने गांव का नाम लेते हैं तो लोग हंसने लगते हैं. अंकित तिवारी बताते हैं कि अयोध्या में जो टूरिस्ट आते हैं हमारे यहां का साइड बोर्ड देखकर मीम्स बनाकर सोशल मीडिया पर डालते हैं और खूब हंसते हैं. उन्होंने बताया कि हमारे बगल में अयोध्या है तो हमारे गांव का नाम रामायण से लेकर रख दिया जाए या कोई अच्छा सा नाम रख दिया जाए जिसको हम लोग को बताने में शर्म ना आए. शिव तिवारी बताते हैं कि हम लोग जब बाहर जॉब के लिए जाते हैं तो हम लोग को अपने गांव के जगह पर अयोध्या बताना पड़ता है, क्योंकि लोग हमारे गांव का नाम सुनते ही हंसने लगते हैं.
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