वैज्ञानिकों ने किया कमाल, इंसान की सू-सू से बना दी बीयर, जानिए कब से है बाजार में बेचने की तैयारी!

इंसान की पेशाब के कई उपयोग होते हैं. कुछ लोग उसे खुद की पेशाब को पीना चिकित्सा के तौर पर मानते हैं. वहीं वैज्ञानिक ऐसी तकनीक बना चुके हैं जिनसे इंसान खुद की पेशाब से पानी बना कर सकता है और उसे पी सकता है. इस तकनीक का इस्तेमाल स्पेस में, रेगिस्तान आदि में किया जा सकता है, जहां पानी उपलब्ध नहीं होता है. लेकिन क्या पेशाब का इस्तेमाल बियर बनाने में हो सकता है? जी हां. अब वैज्ञानिकों ने इसे मुमकिन कर दिखया है. स्वीडन में एक अनोखा और चौंकाने वाला प्रयोग किया गया है, वहां वैज्ञानिकों ने मानव पेशाब का उपयोग करके पर्यावरण-अनुकूल बीयर बनाने की दिशा में कदम उठाया है.  इतना ही नहीं इसके व्यवसायिक उत्पादन पर भी काम कर चल रहा है. और कुछ सालों में यह बियर बाज़ार में भी बिकने लगेगी.

पहले जमा की बहुत सारी पेशाब
स्वीडिश यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज (SLU) के शोधकर्ताओं ने वालपुर्गिस नाइट उत्सव के दौरान पोर्टालूज यानी चलित शौचालयों से 20,000 लीटर पेशाब इकट्ठा किया. यह उत्सव हर साल 30 अप्रैल और 1 मई की रात को मनाया जाने वाला एक ईसाई त्यौहार है. इस पेशाब का शोधकर्ताओं ने खास तौर पर इस्तेमाल किया जिससे बियर बन सकी.

पेशाब से बनी खाद
शोधकर्ताओं ने पहले  इस पेशाब को एक विशेष प्रक्रिया से खाद में बदला. इसके बाद इसका इस्तेमाल 1.5 हेक्टेयर कृषि भूमि पर किया. जिससे खास तरह के जौ पैदा करने में मदद मिली जिससे बियर बनती है. इसे माल्टिंग जौ कहा जाता है. खास बात ये है कि इस खाद से उगाए गए जौ से बनी बीयर 2027 में बीयर प्रेमियों के लिए उपलब्ध होगी!

वैज्ञानिकों का दावा है कि पेशाब की खाद से खास तरह की जौ पैदा होगी जिससे बियर बनेगी. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)

3 फुटबॉल मैदानों जितनी जमीन पर हो चुकी है खेती
SLU में साइकिल टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर ब्योर्न विनेरास ने बताया, “पिछले साल इकट्ठा किया गया पेशाब तीन हफ्ते पहले गोटलैंड के एक खेत में इस्तेमाल किया गया, जहां माल्टिंग जौ उगाया जा रहा है. यह क्षेत्र लगभग तीन फुटबॉल मैदानों जितना है, जो कृषि के लिहाज़ से ज्यादा नहीं है, लेकिन यह एक शुरुआत है.”

कैसे बनाई खाद?
इस प्रक्रिया में, वैज्ञानिकों ने पेशाब से 95% पानी निकालकर उसे कंसंट्रेट रूप में बदला. इसके बाद, एक शोध फर्म ने इस पदार्थ को खाद में बदल दिया, जिसे खेती के लायक बनाया गया. यह खाद पर्यावरण के लिए पूरी तरह सुरक्षित और असरदार है. इस खाद से उगाए गए जौ को बीयर उत्पादन में इस्तेमाल किया जाएगा, जो न केवल एक नया प्रयोग है, बल्कि सतत कृषि और संसाधन रीसाइक्लिंग की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम भी है.

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अजीब बात इस बीयर को तैयार करने के लिए बहुत ही अधिक मात्रा में पेशाब जमा करना है. वालपुर्गिस नाइट उत्सव स्वीडन में एक बड़ा आयोजन है, जहां हजारों लोग जश्न मनाने के लिए इकट्ठा होते हैं. इस दौरान मोबाइल शौचालयों से पेशाब इकट्ठा करना एक अनोखी पहल थी. पेशाब को खाद में बदलने की यह तकनीक न केवल अपशिष्ट को उपयोगी संसाधन में बदलती है, बल्कि रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता को भी कम करती है.साथ ही पेशाब से बनी खाद प्राकृतिक और टिकाऊ है.

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