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Giant Hole Opens in Sun: सूर्य में एक इतना बड़ा छेद बन गया कि उससे आ रहा धधकता हुआ तूफान धरती के लिए खतरा बन गया है. ये कोलोसल होल 10 लाख किलोमीटर बड़ा है और इससे आने वाली गर्म हवाओं की रफ्तार 700 किलोमीटर प्रत…और पढ़ें

सूर्य में बना 10 लाख किलोमीटर बड़ा छेद. (Credit- NASA)
हाइलाइट्स
- सूर्य में 10 लाख किमी बड़ा छेद बना है.
- सौर हवाएं 700 किमी/सेकंड की रफ्तार से धरती की ओर बढ़ रही हैं.
- 20-23 मई को जियोमैग्नेटिक तूफान की चेतावनी.
सूरज की सतह पर एक ऐसा नजारा देखने को मिला है, जो वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष प्रेमियों को हैरान कर रहा है! सूरज के वायुमंडल में 10 लाख किलोमीटर से भी बड़ा एक विशाल छेद बन गया है, जिससे तीखी सौर हवाएं पृथ्वी की ओर दौड़ रही हैं. अंतरिक्ष मौसम वैज्ञानिकों ने आने वाले दिनों के लिए जियोमैग्नेटिक तूफान की चेतावनी जारी कर दी है.
सूर्य में एक इतना बड़ा छेद बन गया कि उससे आ रहा धधकता हुआ तूफान धरती के लिए खतरा बन गया है. ये कोलोसल होल 10 लाख किलोमीटर बड़ा है और इससे आने वाली गर्म हवाओं की रफ्तार 700 किलोमीटर प्रति सेकंड है. आप सोच सकते हैं कि खगोलीय घटना कितनी अजीब और खतरनाक है.
20-23 मई का वक्त खतरनाक
सोमवार को सूरज के उत्तरी गोलार्ध में एक चुंबकीय तंतु फटा, जिसने अंतरिक्ष में एक शक्तिशाली सौर विस्फोट हुआ. अमेरिकी NOAA के वैज्ञानिकों का कहना है कि यह विस्फोट 23 मई को पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को हल्का-सा छू सकता है. इसकी वजह से पहले से मौजूद G1-श्रेणी के जियोमैग्नेटिक तूफान का खतरा और बढ़ सकता है. वहीं 20 से 22 मई तक भी हल्के G1 तूफानों की संभावना है, क्योंकि पृथ्वी इस नए बने सौर छेद से निकलने वाली तेज सौर हवाओं के बीच में आ रही है.
तूफान की रफ्तार है 700 किलोमीटर/घंटा
जो सौर तूफान धरती की ओर से बढ़ रहा है, उसकी रफ्तार दंग करने वाली है. ये सौर हवाएं 700 किलोमीटर प्रति सेकंड से भी ज्यादा रफ्तार से चल रही हैं. सूरज इस समय अपनी सबसे ज्यादा एक्टिव स्टेट यानि सोलर मैक्सिमम में है. इस दौरान सूरज पर बार-बार विस्फोट, सनस्पॉट और तूफान देखने को मिलते हैं. वैज्ञानिक फिलहाल स्थिति पर कड़ी नजर रखे हुए हैं, क्योंकि अगले कुछ दिनों में सूरज की और हरकतें पृथ्वी पर असर डाल सकती हैं.
तूफान का धरती पर होगा क्या असर? (AI Generated)
क्या है कोलोसल होल?
ये सीधी भाषा में सूरज में बना छेद है. ये सौर छेद सूरज के उन हिस्सों में बनते हैं, जहां उसका चुंबकीय क्षेत्र खुल जाता है और चार्ज्ड कणों की धारा यानि सौर हवाएं अंतरिक्ष में भागने लगती हैं. NASA के सोलर डायनामिक्स ऑब्जर्वेटरी की तस्वीरों में ये छेद काले दिखते हैं क्योंकि इनमें वो गर्म, चमकती हुई गैस नहीं होती जो बाकी सूरज पर दिखती है. ये विशाल छेद सूरज के दक्षिणी गोलार्ध में फैला हुआ है और हाल के महीनों में देखा गया सबसे बड़ा छेद है.
क्या होगा धरती पर असर?
जैसे-जैसे यह CME पृथ्वी के करीब आ रहा है, वैज्ञानिकों ने रेडियो संचार, उपग्रहों और बिजली ग्रिड में संभावित रुकावटों की चेतावनी दी है. हालांकि अभी खतरा मध्यम स्तर का माना जा रहा है, इसलिए ज्यादा घबराने की ज़रूरत नहीं है.
News18 में Offbeat डेस्क पर कार्यरत हैं. इससे पहले Zee Media Ltd. में डिजिटल के साथ टीवी पत्रकारिता भी अनुभव रहा है. डिजिटल वीडियो के लेखन और प्रोडक्शन की भी जानकारी . टीवी पत्रकारिता के दौरान कला-साहित्य के सा…और पढ़ें
News18 में Offbeat डेस्क पर कार्यरत हैं. इससे पहले Zee Media Ltd. में डिजिटल के साथ टीवी पत्रकारिता भी अनुभव रहा है. डिजिटल वीडियो के लेखन और प्रोडक्शन की भी जानकारी . टीवी पत्रकारिता के दौरान कला-साहित्य के सा… और पढ़ें
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