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भरतपुर के एक गांव के लोग 6 महीने पहाड़ के ऊपर और 6 महीने नीचे रहते हैं. यह गांव पशुपालन पर निर्भर है और ऐतिहासिक विजयगढ़ दुर्ग की तलहटी में बसा है. आइए इस गांव के बारे में जानते हैं.

भरतपुर का अनोखा गांव
हाइलाइट्स
- भरतपुर का मोर तालाब गांव 6 महीने पहाड़ पर रहता है.
- गांव के लोग पशुपालन पर निर्भर हैं.
- गांव ऐतिहासिक विजयगढ़ दुर्ग की तलहटी में बसा है.
भरतपुर:- क्या आपने सुना है ऐसे गांव के बारे में, जहां के लोग 6 महीने पहाड़ के ऊपर और 6 महीने पहाड़ के नीचे रहते हो. आज लोकल 18 आपको एक ऐसे ही गांव के बारे में बताने जा रहा है, जहां के लोग 6 महीने पहाड़ के ऊपर और 6 महीने पहाड़ के नीचे अपने परिवार और पशुओं के साथ रहते हैं. यह अनोखा गांव है राजस्थान के भरतपुर जिले की बयाना तहसील में स्थित मोर तालाब गांव. यह अनोखा गांव अपनी जीवनशैली और भौगोलिक स्थिति के कारण पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध है.
समुद्रतल से इतनी ऊंचाई
यह गांव ऐतिहासिक विजयगढ़ दुर्ग की तलहटी में अरावली की ऊंचाइयों पर समुद्र तल से लगभग 800 फीट की ऊंचाई पर बसा हुआ है. इसकी सबसे विशेष बात यह है कि यहां के लोग साल में दो बार अपना ठिकाना बदलते हैं. यह पूरा गांव पशुपालन पर ही निर्भर रहता है.
बरसात के महीनों में यह गांव जीवंत हो उठता है, जब यहां के निवासी अपने परिवार सहित अपने पशुओं को लेकर पहाड़ी पर स्थित पुराने घरों में रहने चले जाते हैं. इन महीनों में मौसम सुहावना होता है और पानी की उपलब्धता बेहतर होती है, जिससे पशुओं को भरपेट चारा और पानी मिलता है.
पानी की कमी के कारण बदलना पड़ता है स्थान
वहीं गर्मियों की शुरुआत होते ही जब पानी और अन्य सुविधाओं की कमी हो जाती है, तब गांववाले नीचे मैदान में स्थित अपने दूसरे घरों में आ जाते हैं. यह परंपरा सदियों पुरानी है और आज भी उतनी ही जीवंत है. मोर तालाब गांव का इतिहास भी उतना ही समृद्ध है, जितना कि इसकी परंपराएं गांव में लगभग 200 से अधिक गुर्जर परिवार रहते हैं और आज भी अपनी संस्कृति और मिट्टी से गहराई से जुड़े हुए हैं. गांववासियों की आजीविका का मुख्य स्रोत पशुपालन ही है.
आसपास के क्षेत्रों तक होती है आपूर्ति
उनके पास सैकड़ों की संख्या में मवेशी हैं, जिनसे प्रतिदिन सैकड़ों लीटर दूध का उत्पादन होता है. यह दूध न केवल स्थानीय स्तर पर उपयोग में लाया जाता है, बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी इसकी आपूर्ति की जाती है. हालांकि यह गांव प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से भरपूर है. फिर भी यह आज भी कई मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. सड़क, बिजली, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी आवश्यक सेवाओं की यहां भारी कमी है. इसके बावजूद यहां के लोगों का हौसला कमजोर नहीं पड़ा है.
गांव नहीं, एक जीवन दर्शन
वे आशा करते हैं कि एक दिन उनका गांव भी विकास की मुख्यधारा से जुड़ेगा और फिर से हरा-भरा और सुगम जीवन वाला स्थान बन पाएगा. जब गांव के लोग ऊपर रहते हैं, तब इस गांव के बच्चे लगभग 5 किलोमीटर का दुर्लभ रास्ता पार करके नीचे पढ़ाने आते हैं. भरतपुर का यह अनोखा गांव मोर तालाब केवल एक गांव नहीं, बल्कि एक जीवन दर्शन है. यहां के लोग प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर जीने की एक मिसाल पेश करते हैं. इनकी जीवनशैली, संघर्ष और उम्मीदें यह सिखाती हैं कि सादगी में भी गरिमा होती है और अपनी जड़ों से जुड़ा रहना ही सच्चा विकास है.
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