चाहे वह एक कॉफी का कप हो या बीयर का गिलास, जब हम अपने बगल में किसी के साथ पीते हैं, तो हमारे मुंह से “चीयर्स” शब्द निकलना लाजिमी है. यह उन चीजों में से एक है जो हम सभी करते हैं और पिछले कुछ सालों में यह एक तरह की आदत बनी हुई है. लेकिन लोग चीयर्स क्यों कहते हैं और क्या यह सिर्फ एक सामाजिक रिवाज है या इसका कोई मतलब भी है? यकीन मानिए, इस बारे में बहुत कम लोगों को ही पता होगा. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इसके पीछे चार वजह हैं. उनके बारे में जानने के बाद आप भी कहेंगे कि गजब. लेकिन उन वजहों को जानने से पहले चीयर्स शब्द के इतिहास के बारे में जान लेते हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया के रिपोर्ट के मुताबिक, ‘चीयर्स’ शब्द की उत्पत्ति पुराने फ्रांसीसी शब्द ‘चिएरे (Chiere)’ से हुई है, जिसका अर्थ है चेहरा या सिर. 18वीं शताब्दी के अंत तक, इस शब्द का इस्तेमाल खुशी और प्रोत्साहन व्यक्त करने के तरीके के रूप में किया जाने लगा. आजकल, इसका इस्तेमाल शराब पीने से पहले खुशी और शुभकामनाएं व्यक्त करने के लिए किया जाता है. चाहे दोस्तों के साथ पार्टी हो या परिवार का डिनर, ‘चीयर्स’ हर मौके को मजेदार बनाता है. लेकिन इसके पीछे की वजहें सिर्फ शुभकामनाओं से कहीं ज्यादा रोचक हैं, जो हर ड्रिंक को खास बनाती है. आइए जानते हैं कि आखिर वो कौन सी चार खास वजहें हैं, जिनके बारे में आप पहले शायद ही जानते होंगे.
वजह नंबर 1- सुरक्षा
पुराने जमाने में जहर देकर हत्या आम थी. लोग गिलास जोर से टकराते और ‘चीयर्स’ चिल्लाते, ताकि दोनों गिलासों का पेय आपस में मिल जाए. इससे यह यकीन हो जाता था कि ड्रिंक में कोई जहर नहीं है, क्योंकि दोनों एक-दूसरे का पेय पी रहे हैं. यह रिवाज उस वक्त की सतर्कता को दिखाता है, जो आज भी जाम टकराने में जिंदा है.
वजह नंबर 2- पांचों इंद्रियों का इस्तेमाल
इंसान के पास 5 ज्ञानेंद्रियां होती हैं, जिसमें आंख, कान, नाक, जीभ, त्वचा शामिल है. ऐसे में आप ड्रिंक को देख सकते हैं, छू सकते हैं, जीभ से उसका स्वाद ले सकते हैं, सूंघ सकते हैं. लेकिन पांचवीं इंद्री सुनने को शामिल करने के लिए गिलास टकराने की आवाज और ‘चीयर्स’ की पुकार जरूरी थी. यह हर ड्रिंक को एक बेहतरीन अनुभव में बदल देता है.
वजह नंबर 3- भूत भगाना
मध्यकाल में लोग मानते थे कि जोर से गिलास टकराने और ‘चीयर्स’ चिल्लाने से बुरी आत्माएं भाग जाती हैं. कुछ लोग गिलास टकराकर थोड़ा पेय जमीन पर गिराते थे, ताकि बुरी आत्माएं उसे पीकर चली जाएं. यह अंधविश्वास आज भले ही मजेदार लगे, लेकिन उस वक्त यह गंभीर रिवाज था.
वजह नंबर 4- भगवान को चढ़ावा
इंटरनेशनल हैंडबुक ऑफ अल्कोहल एंड कल्चर के मुताबिक, ‘चीयर्स’ कहकर जाम टकराना पुराने समय की बलि प्रथा से जुड़ा है. लोग शराब या खून भगवान को चढ़ाते थे, ताकि उनकी मन्नत पूरी हो. ‘चीयर्स’ का मतलब था ‘लंबी उम्र’ या ‘सेहत के लिए’. यह प्रथा आज ‘टोस्ट’ के रूप में जिंदा है, जहां लोग अच्छी जिंदगी की कामना करते हैं.
बता दें कि इन वजहों ने ‘चीयर्स’ को सिर्फ एक शब्द से ज्यादा बना दिया, जो अब एक परंपरा बन चुकी है और सदियों से चली आ रही है. भारत के खासकर शहरी इलाकों में लोग कॉफी, चाय या शराब के साथ ‘चीयर्स’ कहते हैं. यह दोस्ती, खुशी और एकजुटता का प्रतीक है. अगली बार जब आप गिलास उठाएं, तो ‘चीयर्स’ के पीछे की इन कहानियों को याद करें. यह न सिर्फ ड्रिंक का मजा बढ़ाएगा, बल्कि आपको इतिहास से भी जोड़ेगा. यह परंपरा हमें सिखाती है कि छोटी-छोटी चीजें भी कितना गहरा मतलब रखती हैं.
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